यौन हिंसा पीड़ित मुआवजा योजना में बच्चों को भी शामिल किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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यौन हिंसा पीड़ित मुआवजा योजना में बच्चों को भी शामिल किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा कि ‘यौन हिंसा और अन्य अपराधों की पीड़ित महिलाओं के लिये मुआवजा योजना -2018’ में मामूली संशोधन करके ऐसे अपराध से पीड़ित बच्चों को भी शामिल किया जा सकता है.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यौन हिंसा और तेजाब हमले के पीड़ितों को मुआवजा देने संबंधी राष्ट्रीय विधिक सहायता प्राधिकरण (नालसा) की प्रस्तावित योजना में संशोधन करके ऐसे हमलों के पीड़ित बच्चों को भी इसमें शामिल किया जाए। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि ‘यौन हिंसा और अन्य अपराधों की पीड़ित महिलाओं के लिये मुआवजा योजना -2018’ में मामूली संशोधन करके ऐसे अपराध से पीड़ित बच्चों को भी शामिल किया जा सकता है। 

इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह से पीठ ने कहा कि इस योजना को मामूली संशोधन के साथ लागू किया जा सकता है। एक वकील ने पीठ से कहा कि नालसा की योजना को यौन हिंसा के पीड़ित बच्चों पर भी ध्यान देना चाहिए। 

जयसिंह ने कहा कि इस योजना को शीर्ष अदालत ने मंजूरी दे दी है और इसका मकसद यौन हिंसा और तेजाब हमले की शिकार महिलाओं को मुकदमे की सुनवाई के दौरान सहायता प्रदान करना है। उन्होंने पीठ से यह भी कहा कि राज्यों को इस योजना के पीछे के औचित्य को समझना होगा। 

इस योजना में पीड़ित बच्चों को भी शामिल करने संबंधी पीठ की टिप्पणी के बारे में जयसिंह ने कहा कि वह इस बारे में एक नोट दाखिल करेंगी। पीठ ने केंद्र और सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से कहा कि वे इस योजना को अक्षरश : लागू करें। पीठ ने इसके साथ ही जयसिंह को इस बारे में दो सप्ताह के भीतर एक नोट दाखिल करने का निर्देश दिया। 

उन्होंने कहा कि वह भारतीय दंड संहिता की धारा 228 ए से संबंधित पहलू पर भी विचार करेंगी। यह धारा यौन अपराध से पीड़ित की पहचान के खुलासे से संबंधित है। न्याय मित्र ने इससे पहले पीठ से कहा था कि धारा 228 ए के प्रावधान को स्पष्ट करना शीर्ष अदालत के लिये आवश्यक है। 

नालसा की योजना के तहत अब देश के किसी भी हिस्से में सामूहिक बलात्कार की शिकार महिला को कम से कम पांच लाख और अधिकतम दस लाख रूपए का मुआवजा दिया जाएगा। इसी तरह, बलात्कार और अप्राकृतिक यौन हिंसा की पीड़ित को न्यूनतम चार लाख और अधिकतम सात लाख रूपए बतौर मुआवजा मिलेगा। 

इस योजना के अनुसार तेजाब हमले के मामले में यदि पीड़ित का चेहरा कुरूप हो गया तो उसे कम से कम सात लाख और अधिकतम आठ लाख रूपए मुआवजा मिलेगा। तेजाब हमले में यदि पीड़ित 50 फीसदी से अधिक जख्मी हुई है तो उसे कम से कम पांच लाख और अधिकतम आठ लाख रूपए मुआवजा मिलेगा। 

दिल्ली में निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या की घटना के बाद उच्चतम न्यायालय में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति चिंता व्यक्त करते हुये अनेक याचिकायें दायर की गयीं थीं। केन्द्र ने भी दिसंबर , 2012 की घटना के बाद 2013 में निर्भया कोष गठित करने की घोषणा की थी।  इन याचिकाओं पर शीर्ष अदालत समय समय पर अनेक निर्देश दे चुका है। 

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