Digital Arrest SC News: कुछ महीनों में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़े हैं. एक बुजुर्ग दंपति से एक करोड़ रुपये ठगने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. हैरानी की बात यह है कि इस मामले में सीबीआई के फर्जी अधिकारी और कोर्ट के फर्जी दस्तावेजों का भी इस्तेमाल हुआ.
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सुप्रीम कोर्ट ने जाली अदालती आदेश के आधार पर डिजिटल अरेस्ट मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे. बागची की पीठ ने इस पर गंभीर चिंता जताई. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वतः संज्ञान एक वरिष्ठ नागरिक दंपति की तरफ से दायर शिकायत के कारण लिया. इस बुजुर्ग दंपति के साथ 3 सितंबर से 16 सितंबर के बीच डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड के जरिए जीवनभर की सेविंग ठग ली गई.
पीड़ितों ने बताया है कि उनसे सीबीआई अधिकारी बनकर टेलीफोन और वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क किया गया था. धोखेबाजों ने व्हाट्सएप और वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के फर्जी आदेश भी दिखाए. गिरफ्तारी और संपत्तियों की जब्ती के डर से पीड़ितों से कई बैंक लेनदेन करा 1 करोड़ 5 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा, आगे क्रमवार तरीके से पढ़िए.
आदेश- सामान्य रूप से हम राज्य पुलिस को जांच में तेजी लाने और उसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचने का निर्देश देते. हालांकि दस्तावेजों की जालसाजी और इस न्यायालय या हाई कोर्ट के नाम, मुहर और न्यायिक प्राधिकार का आपराधिक दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय है.
आदेश- जजों के जाली हस्ताक्षरों वाले न्यायिक आदेशों को तैयार करना, कानून के शासन के साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था में जनता के विश्वास की नींव पर भी प्रहार करता है. इस तरह की कार्रवाई संस्था की गरिमा पर सीधा प्रहार है.
आदेश- ऐसे गंभीर आपराधिक कृत्य को धोखाधड़ी या साइबर अपराध के सामान्य या नियमित अपराध के रूप में नहीं माना जा सकता. हम इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान भी ले रहे हैं कि यह मामला इकलौता नहीं है. मीडिया में कई बार यह जानकारी आई है कि देश के कई हिस्सों में इस तरह के अपराध हुए हैं.
आदेश- हमारे विचार में न्यायिक दस्तावेजों की जालसाजी, निर्दोष लोगों खासतौर से वरिष्ठ नागरिकों से जबरन वसूली से जुड़े इस फ्रॉड की तह तक पर्दाफाश करने के लिए केंद्र और राज्य पुलिस के बीच कार्रवाई और मिलकर प्रयास जरूरी हैं.
आदेश- हम गृह मंत्रालय के सचिव के माध्यम से भारत सरकार को, अपने डायरेक्टर के माध्यम से सीबीआई को, गृह विभाग के प्रधान सचिव और अंबाला में साइबर अपराध के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं.
आदेश- जिस तरह से ऐसे अपराध किए जा रहे हैं, उसे देखते हुए हम अटॉर्नी जनरल से अनुरोध करते हैं कि वह न्यायालय की सहायता करें.
आदेश- हरियाणा राज्य और पुलिस अधीक्षक, साइबर अपराध, अंबाला को अब तक हुई जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है.
जानें पूरा मामला
सितंबर में हरियाणा रोडवेज विभाग की रिटायर्ड ऑडिटर शशिबाला सचदेवा और उनके पति से फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर साइबर ठगों ने करीब 1 करोड़ 5 लाख रुपये की ठगी कर ली. पीड़िता और उनके पति को 13 दिनों तक व्हाट्सएप कॉल और वीडियो के जरिए डिजिटल अरेस्ट रखकर मानसिक प्रताड़ना दी गई और जान से मारने की धमकियां भी दी गईं. महिला ने सुप्रीम कोर्ट को भेजी शिकायत में कहा कि ठगों ने सुप्रीम कोर्ट के फर्जी आदेश का हवाला देकर उनसे ठगी की है.
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