सुप्रीम कोर्ट ने अगर यह फैसला सुनाती है कि भ्रष्टाचार साबित करने के लिए गलत ढंग से हासिल दस्तावेज के आधार पर सुनवाई हो सकती है तो राफेल डील पर को लेकर एक बार फिर सुनवाई होगी.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बुधवार को राफेल मामले पर फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता द्वारा गलत ढंग से हासिल गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होगी या नहीं, इस बात पर फैसला सुनाएगा. दरअसल, याचिकाकर्ता पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और वकील प्रशांत भूषण ने राफ़ेल डील में धांधली साबित करने के लिए सबूतों के तौर पर राफेल डील से जुड़े कई दस्तावेज़ों की फोटोकॉपी सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के सामने दायर पुनर्विचार याचिका में लगाई हैं.
केन्द्र सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल ने दलील दी कि ये दस्तावेज यानि कि फोटोकॉपी रक्षा सौदे से जुड़े गोपनीय दस्तावेज़ों की चोरी मानी जाए, क्योंकि ये कापियां चोरी से हासिल कर कोर्ट में पेश की गई हैं इसलिए सुप्रीम कोर्ट इन काग़ज़ों को पुनर्विचार याचिका की सुनवाई में शामिल न करे. बता दें कि बीती 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दूसरी तरफ याचिकाकर्ता का कहना है कि किसी धांधली व भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए कोई काग़ज किसी भी तरीक़े से हासिल कर उसे कोर्ट के सामने रखा जाता है तो भ्रष्टाचार साबित करने की मांग को देखते हुए अदालत को उनपर भी ग़ौर करना चाहिए. साथ ही याचिकाकर्ताओं ने कहा कि किसी विभाग में धांधली पकड़वाने के लिए गोपनीय तरीक़े से सबूत देने वाले विहसल ब्लोवर की पहचान और सबूत जुटाने का तरीक़ा कानून में पूछने का अधिकार किसी के पास नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने अगर यह फैसला सुनाती है कि भ्रष्टाचार साबित करने के लिए गलत ढंग से हासिल दस्तावेज के आधार पर सुनवाई हो सकती है तो राफेल डील पर को लेकर एक बार फिर सुनवाई होगी.