AI को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी टेंशन में, बोला- इन सबकी नौकरियां चली जाएंगी
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AI को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी टेंशन में, बोला- इन सबकी नौकरियां चली जाएंगी

SC Concern on AI: एआई तकनीक के बढ़ते व्यापक इस्तेमाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें ड्राइवरों की चिंता है. बहुत बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है. SC ने चिंता जताई कि बहुत से लोग बेरोजगार हो सकते हैं.

AI को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी टेंशन में, बोला- इन सबकी नौकरियां चली जाएंगी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या AI तकनीक आने के बाद से नौकरियों पर खतरा जताया जाता रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता जताई है. SC ने मंगलवार को कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य में ड्राइवरों की जगह ले सकता है और इसके कारण काफी लोग बेरोजगार हो सकते हैं.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) की खरीद और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नीतियों के उचित क्रियान्वयन की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत ने चिंता जताते हुए कहा कि AI ड्राइवरों की नौकरियों को प्रभावित कर सकता है.

ड्राइविंग रोजगार का बड़ा स्रोत

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने टिप्पणी की, 'मेरी चिंता यह है कि एआई को इन ड्राइवरों का रोजगार खत्म नहीं करना चाहिए... भारत में ड्राइवर (की नौकरी) रोजगार का एक बड़ा स्रोत है.'

वकीलों को भी...

जस्टिस कांत ने हल्के अंदाज में कहा कि वकीलों को भी एआई-बेस्ड टूल्स से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा, 'एआई अपने आप में तेजी से बढ़ती हुई तकनीक है. एक मॉड्यूल कुछ ही महीने में पुराना या प्रचलन से बाहर हो जाता है. अभी हमने एआई आधारित अधिवक्ताओं को देखा है... उन्होंने अमेरिका में दलील दी है. हम बार को लेकर चिंतित हैं.'

EV पर जनहित याचिका में क्या?

इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जनहित याचिका सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से दायर की गई थी, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने किया था. उन्होंने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने में इलेक्ट्रिक वाहनों के महत्व पर जोर दिया और कहा कि भारत में दुनिया के कुल 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 शहर हैं.

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उन्होंने कहा, 'मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि सरकार को अपनी नीति लागू करनी चाहिए.' हालांकि अदालत ने कहा कि केवल सरकार नहीं बल्कि दूसरे संस्थानों को भी आगे आना होगा. भूषण ने जवाब दिया कि सरकार को बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना चाहिए. उन्होंने उन मामलों पर प्रकाश डाला जहां 400 किमी की दूरी के बाद ही चार्जिंग पॉइंट उपलब्ध होते हैं.

सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने केंद्र के नीतिगत फैसलों के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए समय मांगा. अदालत ने मामले को 14 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.

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