Supriya Sule On Ajit Pawar: महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार का बढ़ा कद है. लेकिन राजनीतिक मतभेद की वजह से शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पवार की पार्टी से बगावत कर ली थी, जिसके बाद वह भाजपा-एकनाथ शिंदे गुट का दामन थाम लिया था. तबसे पवार परिवार में आए दिन मतभेदों की खबर आती रही हैं, लेकिन सुप्रिया सुले ने एक बयान देकर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. जानें पूरी खबर.
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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों माहौल गरम है. एक तरफ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के आपस में मिलने की खबरें आई है. अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) नेता सुप्रिया सुले ने एक बयान देकर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. इससे माना जा रहा है कि वह दिन दूर नहीं जब पवार परिवार एक हो जाएगा, यह हम नहीं कह रहे हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा है कि पवार परिवार में भले ही राजनीतिक सोच अलग-अलग हो, लेकिन इससे उनके आपसी रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने साफ किया कि परिवार का प्यार और एकता हमेशा बनी रही है.
पवार परिवार में क्या पक रही खिचड़ी?
पिछले दो हफ्तों में शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार की तीन बार मुलाकात हुई है. इन मुलाकातों के बाद महाराष्ट्र में अटकलों का दौर शुरू हो गया है. क्या शरद पवार और अजित पवार की पार्टियां फिर से एक हो सकती हैं? सोमवार को दोनों पुणे में एक बैठक में मिले, जहां उन्होंने खेती और चीनी उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे नए तकनीकों के इस्तेमाल पर बात की.
सुप्रिया सुले ने क्या ककहा?
इस मामले में जब सुप्रिया सुले से पूछा गया कि क्या शरद पवार और अजित पवार की पार्टियां फिर से एक हो सकती हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, “पवार परिवार कभी अलग हुआ ही नहीं. हम सब भाई-बहन अपने दादा-परदादा से मिले संस्कारों के साथ बड़े हुए हैं. हां, हमारी राजनीतिक सोच में फर्क हो सकता है, लेकिन हमने कभी इन मतभेदों को अपने निजी रिश्तों पर हावी नहीं होने दिया.” उनका कहने का मतलब था कि भले ही शरद पवार और अजित पवार की पार्टियां अलग रास्ते पर चल रही हों, परिवार में प्यार और सम्मान पहले जैसा ही है.
भतीजे और चाचा में दुश्मनी कम होगी?
पवार परिवार जो महाराष्ट्र की राजनीति में एक कद रखता है. एक समय शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के जरिए महाराष्ट्र की राजनीति में अपना वर्चस्व बनाया, लेकिन मतभेदों की वजह से अजित पवार ने खुद को पार्टी से अलग करके खुद की पार्टी बना ली. इन सब घटनाओं के बाद भी दोनों नेताओं के बीच समय-समय पर मुलाकातें होती रही हैं. इस बार की मुलाकात के बाद लोगों में यह उम्मीद जगी है कि शायद भविष्य दोनों के बीच मतभेद कम हो जाए और दोनों एक साथ हो जाएं.