सूरत: मां-पत्नी के गहने गिरवी रख शुरू की थी ट्रेनिंग, 500 प्रतिभागियों को पछाड़ यहां जीता गोल्ड
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सूरत: मां-पत्नी के गहने गिरवी रख शुरू की थी ट्रेनिंग, 500 प्रतिभागियों को पछाड़ यहां जीता गोल्ड

मध्यप्रदेश में आयोजित स्ट्रेंथ लिफ्टिंग इंटरनेशनल वर्ल्ड चैंपियन में दीपक मोरे ने गोल्ड मेडल जीता.

जिम ट्रेनर दीपक मोरे गोल्ड मेडल के साथ.

सूरत, चेतन पटेल: कहते हैं कि मन में दृढ इच्छा शक्ति हो, तो कोई भी कार्य कठिन नहीं होता और कोई भी सफलता आप से दूर नहीं रह सकती. अपनी ललक से सूरत के रहने वाले दीपक ने ये कर दिखाया और 12 देशों के 500 प्रतियोगियों को पछाड़कर स्ट्रेंथ लिफ्टिंग इंटरनेशनल वर्ल्ड चैंपियन में गोल्ड मेडल जीतकर अपने आपको साबित किया. 

सूरत के पालनपुर इलाके में रहने वाले दीपक मोरे ने जिम ट्रेनर के रूप में नौकरी करते हुए, एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. गरीबी राह में रोडा बनकर जरूर आई. लेकिन, दृढ इच्छा के आगे गरीबी भी नत-मस्तक हो गई. मध्यप्रदेश में आयोजित स्ट्रेंथ लिफ्टिंग इंटरनेशनल वर्ल्ड चैंपियन में दीपक मोरे ने गोल्ड मेडल जीता. दीपक जिम ट्रेनर हैं और इस कमाई से ही अपना परिवार चलाते हैं. उन्होंने बताया जैसे ही उन्हें इस प्रतियोगिता के बारे में पता चला, वो इसकी तैयारियों में जुट गए. 

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दीपक ने बताया कि वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए उन्हें ट्रेनिंग की जरूरत थी, लेकिन पैसों के अभाव में वो ये नहीं कर पा रहे थे. लोगों से मदद मांगी, लेकिन उन्होंने मदद तो दूर मजाक बनाना शुरू कर दिया. जब दोस्त और परिजन मदद के लिए हाथ खड़े कर दिए, तो मां और पत्नी ढाल बनकर सामने खड़े हो गए. उन्होंने अपने गहने गिरवी रखे, जिसके बाद उन्होंने ट्रेनिंग शुरू की. 

दीपक ने बताया कि 17 से 20 जनवरी तक इस वर्ल्ड चैम्पियनशिप का आयोजन में उन्होंने भाग लिया और 52 किलोग्राम केटेगरी में 500 से ज्यादा स्पर्धकों को पीछे छोड़कर गोल्ड मेडल हासिल किया. अपने करियर के बारे में दीपक बताते हैं कि उन्हें जीवन में सफल होने के कई कठिन दौरों से गुजरना पड़ा.

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साल 2009 में एक एसिडेंट में उनका हाथ फ्रेक्चर हो गया था, जिसकी वजह से उन्हें जिम से ब्रेक लेना पड़ा. डॉक्टर ने भी उसे वेट लिफ्टिंग छोड़ने की सलाह दी. लेकिन आर्थिक दिक्कतों के कारण उन्होंने फिर साल 2012 में वेट लिफ्टिंग ट्रेनिंग शुरू की. तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद साल 2015 में वो मिस्टर गुजरात बनें. 

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दीपक की पत्नी भी वेट लिफ्टिंग का शौक था. पत्नी के शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने उसे ट्रेनिंग देनी शुरू किया. ट्रेनिंग के बाद दीपक की पत्नी ने भी नेशनल लेवल पर वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भाग लिया था, जिसमें उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता. आर्थिक रूप से कमजोर गोल्ड मेडल जितने वाले इंटरनेशनल खिलाड़ी दीपक मोरे ने सरकार से आग्रह किया है जिस तरह अन्य खिलाड़ियों को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है वैसे ही उनकी मदद के लिए भी सरकार आगे आए, जिससे आने वाले सालों में वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में आगे बढ़ सके और देश का नाम रोशन कर सके.

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