एक ट्वीट पर लोगों को संकट से उबारने वाली महिला अब हमारे बीच नहीं रहीं लेकिन उनकी यादें हमेशा लोगों के जहन में रहेंगी.
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अहमदाबाद: सुषमा स्वराज को आज हर कोई श्रद्धांजलि दे रहा है. विदेश में फंसे लोगों के लिए वह संकटमोचन की तरह थीं. एक ट्वीट पर लोगों को संकट से उबारने वाली महिला अब हमारे बीच नहीं रहीं लेकिन उनकी यादें हमेशा लोगों के जहन में रहेंगी. एक्टसर्टनल मिनिस्टर रहते हुए पाकिस्तान से भारतीय नागरिक उजमा अहमद की वापसी हो या फिर दूसरे देश में फंसे एक्टर करणवीर बोहरा की मदद करने तक जनता जनार्दन के सपोर्ट में हमेशा खड़ी रहीं.
बीते साल गुजरात के एक परिवार की मदद कर सुषमा स्वराज ने लोगों का दिल जीत लिया था. गांधीनगर के रहने वाले हरिप्रसाद पंडित माणसा ने भी सुषमा स्वराज को याद किया. उन्होंने बताया कि उनका बेटा स्पेन में रहता है. पिछले साल उनकी पत्नी को इलाज के लिए स्पेन ले जाना था लेकिन पासपोर्ट को दस साल पुरे हो जाने की वजह से पासपोर्ट रीन्यू कराने में दिक्कतें आ रही थीं. तब परेशान होकर हरीप्रसाद ने सुषमा स्वराज को ट्वीट कर मदद मांगी थी. तत्कालीन विदेशमंत्री ने बिना देर किए ट्वीट का जवाब दिया. उन्होंने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और पासपोर्ट अधिकारियों को तुरंत योग्य कार्रवाई का आश्वासन दिया.
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वहीं, सुषमा स्वराज के देहांत की खबर सुतने ही उजमा गुजरात से दिल्ली आ गई. भाजपा मुख्यालय में उनके अंतिम दर्शन कर वह भावुक हो गई. जी मीडिया से बात करते हुए उजमा ने कहा कि आज उसने अपनी मां को खो दिया. आपको बता दें कि एक्सटर्नल अफेयर मिनिस्टर रहते हुए सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान में जबरन शादी का शिकार हुई भारतीय नागरिक उजमा अहमद को वतन वापस लाने में काफी मदद की थी. सुषमा स्वराज के इस कदम की पूरे देश में जमकर सराहना की गई थी.