सरस्वती हत्या पर बने जांच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए : वीएचपी
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सरस्वती हत्या पर बने जांच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए : वीएचपी

विश्व हिंदू परिषद् (वीएचपी) ने गुरुवार को ओडिशा सरकार से परिषद् के नेता स्वामी लक्षमणानंद सरस्वती की हत्या की जांच के लिए बने दो न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने को कहा.

2008 में हुई थी स्वामी लक्षमणानंद सरस्वती की हत्या (फाइल फोटो)

भुवनेश्वर: विश्व हिंदू परिषद् (वीएचपी) ने गुरुवार को ओडिशा सरकार से परिषद् के नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या की जांच के लिए बने दो न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने को कहा. विश्व हिंदू परिषद् न्यासी मंडल ने अपने तीन दिवसीय समागम के दूसरे दिन राज्य सरकार से पाणिग्रही और नायडू जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और हत्या में शामिल दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की.

  1. लक्षमणानंद सरस्वती की हत्या की जांच रिपोर्ट हो सार्वजनिक
  2. विश्व हिंदू परिषद् ने ओडिशा सरकार के सामने रखी है मांग
  3. 23 अगस्त 2008 को जन्माष्टमी की रात हुई थी स्वामी की हत्या

ओडिशा सरकार ने दो न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था. बासुदेव पाणिग्रही आयोग का गठन दिसंबर 2007 में सरस्वती पर हुए हमले की जांच के लिए और जे एस नायडू जांच आयोग का गठन अगस्त 2008 में उनकी हत्या के बाद किया गया था.

जानें क्या है पूरा मामला
स्वामी लक्ष्मणानंद और उनके शिष्यों की 23 अगस्त 2008 को जन्माष्टमी की रात कंधमाल जिले में उनके जलेशपाटा आश्रम में हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद कंधमाल और राज्य के अन्य भागों में सांप्रदायिक संघर्ष शुरू हो गए थे जिसमें अनेक लोग मारे गए थे. सैकड़ों घर और चर्च जला दिए गए थे और हजारों लोग बेघर हुए थे. स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या और उसके बाद हुए सांप्रदायिक संघर्ष ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया था.

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इसके बाद राज्य सरकार ने पुलिस की अपराध शाखा से इस मामले की जांच के आदेश दिए थे और एक जांच आयोग का गठन किया था. अपराध शाखा ने इस मामले में माओवादी नेता सव्यसाची पांडा और उनके कुछ साथियों सहित 14 लोगों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया था लेकिन नौ आरोपी ही गिरफ्तार किए जा सके.

2013 में ओडिशा में फुलबनी की एक अदालत ने विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती और उनके चार शिष्यों की हत्या के दोषी माओवादी नेता उदय सहित आठ दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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