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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने निजामुद्दीन मरकज की तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) वाली घटना के दौरान फर्जी और प्रेरित खबरों के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए नाराजगी जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को उन टीवी कार्यक्रमों पर लगाम लगाने के लिए ‘कुछ नहीं करने’ पर फटकार लगाई जिनके असर 'भड़काने' वाले होते हैं और कहा कि ऐसी खबरों पर नियंत्रण उसी प्रकार से जरूरी है जैसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिये एहतियाती उपाय. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) के दौरान एहतियाती कदम के तौर पर इंटरनेट बंद करने के फैसले का भी हवाला दिया.
'कई बार खबरों को नियंत्रित करना पड़ता है'
बता दें, 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) के मद्देनजर अधिकारियों ने इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी थी. मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे (Chief Justice SA Bobade) की अध्यक्षता वाली पीठ ने जोर देकर कहा कि कई बार सरकार को खबरों को नियंत्रित करना पड़ता है और इसके लिए उन्होंने गणतंत्र दिवस (Republic Day Parade) पर सड़कों पर हिंसा के बाद राजधानी के विभिन्न हिस्सों में इंटरनेट बंद करने का हवाला दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि 'सरकार ने दिल्ली में किसानों के यहां आने (विजिट) की वजह से मोबाइल पर इंटरनेट बंद कर दिया. मैं गैर विवादास्पद शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूं. आपने इंटरनेट मोबाइल बंद कर दिया. ये ऐसी समस्याएं हैं जो कहीं भी पैदा हो सकती हैं.'
'सच्ची रिपोर्टिंग से कोई खतरा नहीं'
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले 'विजिट' शब्द पर आपत्ति जताई. जिस पर, मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि वह 'जानबूझकर एक गैर-विवादास्पद शब्द का उपयोग कर रहे हैं.' चीफ जस्टिस ने इस बात पर जोर दिया कि 'निष्पक्ष और सच्ची रिपोर्टिंग आमतौर पर कोई समस्या नहीं है, लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब इसका उपयोग दूसरों को उत्तेजित करने और किसी विशेष समुदाय को लक्षित करने के लिए किया जाता है.'
तीन सप्ताह बाद अगली सुनवाई
चीफ जस्टिस ने जोर दिया कि 'सूचना के प्रवाह को नियंत्रित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.' शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार उन कार्यक्रमों को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं कर रही है जो एक समुदाय को उकसाने के लिए दिखाए जाते हैं. अदालत ने मामले को तीन सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए मुकर्रर कर दिया. जमीयत और अन्य लोगों ने विभिन्न मीडिया हाउसों द्वारा खराब रिपोर्टिंग का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, इसी के सिलसिले में सुनवाई हो रही थी.
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