Pakistan Air Strike in Kabul: तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी 6 दिनों की यात्रा पर भारत आए हैं जो अफगानिस्तान की दक्षिण एशिया में सक्रिय भूमिका की चाहत और पाक-चीन-अमेरिकी त्रिकोण से निकलने की कोशिश को दिखाता है. यात्रा से पहले वह रूस में थे.
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Taliban Foreign Minister in India: अफगानिस्तान की Taliban सरकार से विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी 9 अक्टूबर को भारत के 6 दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंच चुके हैं. इसे भारत-अफगानिस्तान संबंधों के बीच नए चैप्टर के तौर पर देखा जा रहा है. मुत्ताकी की यात्रा के बीच ही 10 अक्टूबर(आज)की रात काबुल पर पाकिस्तान द्वारा किए गए सीधे हवाई हमलों और सिलसिलेवार धमाकों से क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव फिर से चरम पर पहुंच गया है. मुत्ताकी की ये यात्रा किसी वरिष्ठ तालिबान अधिकारी की की पहली भारत यात्रा है. कुछ हैंडल्स काबुल में हुए हमलों के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का दावा कर रहे हैं.
किस वजह से भारत आए मुत्ताकी?
मुत्ताकी भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(NSA)अजीत डोभाल के अलग-अलग मुलाकात करेंगे. इस दौरान द्विपक्षीय संबंध, अफगानिस्तान में भारत का निवेश और वीजा नियमों में आसानी जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. विदेश मंत्रालय ने मुत्ताकी का स्वागत करते हुए उन्हें अफगानिस्तान के विदेश मंत्री कहकर संबोधित किया है.
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हवाई हमले में कौन था निशाना?
गुरूवार रात काबुल पर हुए हमले को निशाना तहरीक-ए-तालिबान(TTP)के सरगना नूर वली महसूद को माना जा रहा है. मुत्ताकी के नई दिल्ली में होने के दौरान काबुल पर हमला करना पाकिस्तान की बढ़ती तिलमिलाहट को दिखाता है. रक्षा एक्सपर्ट क्रिस्टोफर क्लेरी के मुताबिक, इस हमले का मकसद भारत से संपर्क बढ़ा रहे तालिबान को चेतावनी देना है कि भारत उनकी रक्षा नहीं करेगा.
क्या ये तालिबान के लिए अल्टीमेटम है?
यह अफगानिस्तान पर पाकिस्तान का पहला हमला नहीं है. लेकिन, पहली बार उसके पक्तिका या नूरिस्तान जैसे सीमावर्ती इलाकों के बजाय तालिबान के सत्ता केंद्र और राजधानी काबुल पर हमला किया है. इसे तालिबान के लिए डायरेक्ट अल्टीमेटम माना जा रहा है. सूत्रों ने हमले में परिसर को सफलतापूर्वक निशाना बनाने की बात कही लेकिन, नूर वली महसूद का ऑडियो संदेश आया जिसमें उन्होंने कहा कि वह सेफ हैं और पाकिस्तान में हैं. हालांकि, इस हमले में उनके बेटे की मौत हो गई.
रक्षा मंत्री ने क्या दी थी धमकी?
यह हमला पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की उस धमकी के 48 घंटे के अंदर हुए जिसमें उन्होंने संसद में कहा था कि, आतंकियों को पनाह देने वाले सभी को अब भुगतना पड़ेगा. मुत्ताकी के दौर पर पाकिस्तान के अलावा चीन और अमेरिकी भी टकटकी लगाए बैठे हैं क्योंकि, भारत-अगानिस्तान संबंधों में बदलाव उनके हितों को काफी प्रभावित कर सकता है.
क्या है बगराम एयरबेस विवाद?
अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने अफगानिस्तान स्थित बगराम एयरबेस की मांग रखकर हलचल मचा रखी है. अफगानिस्तान ने इसे अमेरिका को देने से साफ मना कि दिया है. दिल्ली पहुंचने से पहले मुत्ताकी रूस में थे जहां उन्होंने बगराम मुद्दे पर रूस का समर्थन हासिल किया है. रूस भी नहीं चाहता कि यह एयरबेस अमेरिका को मिले और वह एकमात्र देश है जिसने तालिबान शासन को मान्यता दी है.
चीन को कौन सी चिंता सता रही है?
अमेरिका द्वारा बगराम एयरबेस की मांग ने चीन को टेंशन में डाल दिया है. चीन की चिंता है कि भारत-तालिबान संबंध गहरे से कहीं उसकी सीपैक(CPEC)परियोजना और अफगानिस्तान में निवेश पर दबाव आ सकता है. साथ ही बता दें कि मुत्ताकी 6 दिन के दौरे के दौरान दारुल उलूम देवबंद मदरसा और ताजमहल का भी दौरा करेंगे.
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तालाबिन सरकार पर क्या रहा भारत का रुख?
बता दें कि, भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है और चाहता है की काबुल में सबको साथ लेकर चलने वाली समावेशी सरकार बने. नई दिल्ली इस बात पर भी जोर देकर कहा है कि, अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ किसी भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए ना हों. इससे पहले जनवरी में विदेश सचिव विक्रम मिस्री से बात करने के बाद तालिबान ने भाकत को एक जरूरी क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति बताया था.