पुंछ: पाकिस्तान (Pakistan) ने सर्दियों में आतंकवादियों की घुसपैठ और युद्धविराम उल्लंघन (Ceasefire violation) की हरकतें तेज कर दी हैं. पीर पंजाल रेंज के दक्षिण में पुंछ (Poonch) के इलाके में चार दिन पहले 13 दिसंबर को दो पाकिस्तानी आतंकवादियों को सेना ने मौत के घाट उतार दिया और तीसरे को जिंदा पकड़ा है. लेकिन सीमा पार से लगातार पाकिस्तानी गोलाबारी से एलओसी (LOC) के पास बसे गांवों के निवासी दिन-रात खौफ के साये में जी रहे हैं.


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गोलाबारी बढ़ने की आशंका
खुफिया सूत्रों के मुताबिक इस बार सर्दियों में पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ और गोलाबारी बढ़ने की आशंका है. पुंछ में नियंत्रण रेखा यानि LOC पर तैनात दुर्गा बटालियन के इलाके में ज़ी न्यूज की टीम पहुंची तो पता चला कि दो दिन पहले ही पाकिस्तान की तरफ से दागा गया 120 मिमी का मोर्टार शेल आया था लेकिन इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ. यहां नियंत्रण रेखा कई गावों के बीच से भी निकलती है. इसलिए नागरिक आबादी LOC के बिल्कुल करीब है. इससे जहां घुसपैठ की कोशिशें आसान होती हैं वहीं सीमा पार से फायरिंग में नागरिकों को ज्यादा नुकसान पहुंचता है.


300 से ज्यादा बार फायरिंग
पिछले 6 महीने में पाकिस्तान ने केवल पुंछ में LOC के पास बसे इलाकों पर 300 से ज्यादा बार फायरिंग की है. LOC के पास बसे कसलियां गांव के एक घर में 22 जुलाई को पाकिस्तानी तोप का गोला गिरा जिससे मकान के सामने बैठे दो पुरुषों और एक महिला की जान चली गई. पुंछ में आतंकवादियों की घुसपैठ में तेजी आने की आशंका भी जताई जा रही है. सर्दियों में ऊंचे पास बंद हो जाने से घुसपैठ के रास्ते बंद होने लगते हैं लेकिन इस बार पाकिस्तान ने सर्दियों में भी घुसपैठ की कोशिशें कम नहीं की हैं.

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BAT की दरिंदगी
13 दिसंबर को पुंछ में मारे गए दो पाकिस्तानी आतंकवादियों ने इसी इलाके से घुसपैठ की थी और उसके बाद वो दक्षिण कश्मीर में शोपियां जाने की कोशिश में थे. घुसपैठ की कोशिशों के दौरान पाकिस्तान गोलाबारी तेज करता है और उसकी बॉर्डर एक्शन टीम यानि BAT भारतीय सैनिकों पर हमले करती है. इस साल जनवरी में यहां सेना के सामने से जा रहे नागरिक पोर्टर्स पर  BAT ने हमला किया और दो निर्दोष कश्मीरी पोर्टर्स की हत्या कर दी. इनमें से एक का सिर भी  BAT के दरिंदे अपने साथ ले गए. यहां नागरिक आबादी दिन रात पाकिस्तानी गोलाबारी के खौफ में रहती है. यहां पर नागरिकों के लिए गोलबारी के दौरान शरण लेने के लिए कम्युनिटी बंकर बनाए गए हैं जिससे कुछ सुरक्षा मिलती है. लेकिन अक्सर उन्हें इन बंकरों तक जाने का मौका नहीं मिलता.

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