श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल घाटी में आतंकवाद को खत्म करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और इस सर्दी में सुरक्षा बलों की रणनीति में बदलाव आया है. सुरक्षा एजेंसियां ​​आने वाले तीन महीनों में विदेशी आतंकियों, जिनमें ज्यादातर पाकिस्तानी हैं, को खत्म करने पर फोकस कर रही हैं. 


सबसे बड़ी चुनौती है विदेशी आतंकी 


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कश्मीर में सुरक्षा बल, विदेशी आतंकियों को सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखते हैं. ये आतंकवादी उच्च प्रशिक्षित हैं और युवा कश्मीरी लड़कों को आतंकी संगठनों में भर्ती करने में महारत रखते हैं. 


आतंकी गुटों में शामिल करने के लिए घाटी में प्रशिक्षण शिविर


सुरक्षा बलों का कहना है कि विदेशी आतंकवादी, स्थानीय कश्मीरी लड़कों को आतंकी गुटों में शामिल करने के लिए घाटी में प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं और इनको पहले कट्टरपंथ का पाठ पड़ाते हैं और फिर कुछ दिनों का प्रशिक्षण देकर आतंक के रास्ते पर झोंक देते हैं. इसलिए अगर आतंक को खत्‍म करना है तो विदेशी आतंकियों को खत्‍म करना ज़रूरी है. 


कश्‍मीर के आईजी विजय कुमार ने बताया, "अगर एक विदेशी आतंकवादी घाटी में आते हैं तो इसका मतलब है कि वह 4 स्थानीय लड़कों को आतंकी रैंकों में भर्ती करेंगे. इसलिए हम विदेशी आतंकवादियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और उन सभी को जल्द खत्‍म करना चाहते हैं ताकि युवा लड़कों को इन आतंकी संगठनों में भर्ती होने से रोका जा सके."


उन्‍होंने आगे बताया, "हमने हमेशा देखा है कि बर्फ़बारी के दौरान आतंकवादी ऊंचे इलाकों से निकलकर मैदानी इलाकों और गांवों में आ जाते हैं. वे गर्मियों में इन ऊंचे स्थानों पर वापस चले जाते हैं. इसलिए जनवरी, फरवरी और मार्च के महीने ऐसे समय हैं जिनका हमें पूरा उपयोग करने की आवश्यकता है. हम सुरक्षा बलों के साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा विदेशी आतंकियों को ढेर करना चाहते हैं.”


नई रणनीति को लागू भी किया जा चुका है


सुरक्षा बलों का मानना ​​है कि सर्दियां उनके लिए इन विदेशी आतंकियों को खत्‍म करने का सबसे अच्छा मौका है क्यूंकि ऊंचाई वाले इलाके पूरी तरह से बर्फ से ढके होते हैं इसलिए ये आतंकवादी घाटी में कठोर सर्दियों के महीनों के दौरान मैदानी इलाकों में उतर आते हैं और तभी सुरक्षा बल उनके खिलाफ अभियान चलाना चाहते हैं. नई रणनीति को लागू भी किया जा चुका है. जनवरी 2022 के पहले दो हफ्तों में छह विदेशी आतंकवादी पहले ही मारे जा चुके हैं. विदेशी आतंकवादी न केवल अच्छी तरह से प्रशिक्षित होते हैं बल्कि अत्याधुनिक हथियारों और गोला-बारूद से लैस होते हैं जिसका उदाहरण यह है कि सुरक्षा बलों ने इन मारे गए विदेशी आतंकियों के पास से कई नवीनतम अमरीकन एम-4 असॉल्ट राइफलें बरामद की हैं.


इस वजह से अपनानी पड़ी बदलाव की रणनीति


सुरक्षा बलों द्वारा यह नई रणनीति इसलिए भी बनाई गई है क्योंकि उन्हें ख़ुफ़िया जानकारी मिली है कि कश्मीर में लगभग 85 विदेशी आतंकवादियों को पाकिस्तानी आतंकी आकाओं द्वारा निर्देशित किया गया है कि वे अधिक से अधिक स्थानीय युवकों को आतंकी संगठनों में भर्ती करें और उन्हें घाटी में ही प्रशिक्षित करें. यह  कड़ी सुरक्षा चौकसी के बाद हुआ है जिसके कारण पिछले एक साल में घुसपैठ की संख्या सबसे कमी हुई है. इससे ऐसा लगता है कि इसने सीमा पार के आतंकी आकाओं में बौखलाहट पैदा कर दी है क्योंकि नियंत्रण रेखा पर चौकसी के कारण घाटी में नए आतंकवादियों और हथियारों को भेजना उनके लिए मुश्किल नहीं बल्कि नामुमकिन हो गया है. उस पर घाटी में चल रहे आतंक विरोधी अभियानों में लगातार सक्रिय आतंकियों की संख्‍या कम हो रही है.