हिमाचल चुनाव 2017: सुखराम के खिलाफ मामले बहुत पुराने, कानून अपना काम करेगा: भाजपा
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हिमाचल चुनाव 2017: सुखराम के खिलाफ मामले बहुत पुराने, कानून अपना काम करेगा: भाजपा

पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम के बेटे अनिल शर्मा को पार्टी में शामिल करने को लेकर कांग्रेस के निशाने पर आई भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि सुखराम के खिलाफ मामले बहुत पुराने हैं.

चुनाव से पहले अपनों से परेशान कांग्रेस और बीजेपी (फाइल फोटो-zee)

शिमला: पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम के बेटे अनिल शर्मा को पार्टी में शामिल करने को लेकर कांग्रेस के निशाने पर आई भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि सुखराम के खिलाफ मामले बहुत पुराने हैं. त्रिवेदी ने कल कहा कि जो बीत गई, वह बात गई. कानून अपना काम करेगा. वीरभद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अनिल शर्मा 15 अक्तूबर को भाजपा में शामिल हो गए थे और वह इस समय मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं. मंडी सीट का वर्ष 1962 से नवंबर 1984 तक सुखराम ने प्रतिनिधित्व किया था. उनके लोकसभा में चुने जाने के बाद 1985 में डी डी ठाकुर ने यह सीट जीती.

  1. भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि सुखराम के खिलाफ मामले बहुत पुराने हैं
  2. वीरभद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अनिल शर्मा 15 अक्तूबर को भाजपा में शामिल हो गए थे
  3. सुखराम का नाम दूरसंचार घोटाले में सामने आने के बाद उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था 

भाजपा ने 1990 में इस सीट पर अपना कब्जा किया था. वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में अनिल शर्मा ने मंडी से जीत हासिल की लेकिन सुखराम का नाम दूरसंचार घोटाले में सामने आने के बाद उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था और उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस का गठन किया जिसने चुनाव के बाद भाजपा के साथ गठबंधन किया और सरकार में शामिल हुई.

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त्रिवेदी ने कल दावा किया कि हिमाचल प्रदेश के लोग नजरिए, प्रणाली और विचारधाराओं में बदलाव के लिए मतदान करेंगे और राज्य में निर्भीक एवं भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का चयन करेंगे. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार कांग्रेस का चरित्र है और यह पार्टी जब भी सत्ता में आती है, तब कांग्रेस के सदस्यों में भ्रष्टाचार करने की होड़ लग जाती है.

विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा उम्मीदवार के बारे पूछे जाने पर त्रिवेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं करना भाजपा की रणनीति है लेकिन पार्टी के चुनाव जीतने पर अनुभवी एवं योग्य नेता को इस पद के लिए चुना जाएगा. 

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