वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू करने की दिशा में आज बड़ी कामयाबी हासिल हुई। जीएसटी के प्रशासन को लेकर गतिरोध समाप्त हो गया। केंद्र अधिकतर छोटे करदाताओं पर नियंत्रण का जिम्मा राज्यों को देने पर सहमत हो गया लेकिन जीएसटी को अब एक जुलाई से लागू किया जायेगा।
Trending Photos
नयी दिल्ली: वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू करने की दिशा में आज बड़ी कामयाबी हासिल हुई। जीएसटी के प्रशासन को लेकर गतिरोध समाप्त हो गया। केंद्र अधिकतर छोटे करदाताओं पर नियंत्रण का जिम्मा राज्यों को देने पर सहमत हो गया लेकिन जीएसटी को अब एक जुलाई से लागू किया जायेगा।
इससे पहले, जीएसटी को एक अप्रैल से लागू किये जाने की योजना थी। जीएसटी के तहत करदाताओं का विभाजन दोनों के बीच क्षैतिज रूप से किया जाएगा। डेढ़ करोड़ से कम सालाना कारोबार वाले 90 प्रतिशत करदाता का जिम्मा राज्यों के पास होगा और शेष 10 प्रतिशत केंद्र के दायरे में आएंगे।
केंद्र तथा राज्यों के बीच 1.5 करोड़ रपये से अधिक सालाना कारोबार वाले करदाताओं का नियंत्रण 50:50 के अनुपात में होगा। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जोर देकर कहा कि प्रत्येक करदाता का आकलन केवल एक बार किया जाएगा और केवल एक प्राधिकरण करेगा।
GST roll-out deadline deferred to July 1
Read @ANI_news story in @bsindia https://t.co/sCim2nJAjv
— ANI Print (@print_ani) January 16, 2017
नियंत्रण छोड़ने के अलावा केंद्र तटवर्ती राज्यों की मांग पर भी सहमत हुआ है। उन्हें 12 समुद्री मील में आर्थिक गतिविधियों पर कर लगाने की अनुमति होगी। हालांकि संवैधानिक रूप से केंद्र का क्षेत्रीय जलक्षेत्र पर नियंत्रण होगा।
बैठक के बाद जेटली ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण प्रगति है।’ कर के चार स्लैब दर 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत पर सहमति पहले ही हो गयी है। इसके साथ वस्तु एवं सेवा कर के प्रशासन के मामले में सहमति से इससे जुड़े कानून के मसौदे को अंतिम रूप देने का रास्ता साफ होगा। जीएसटी उत्पाद शुल्क, सेवा कर तथा वैट जैसे केंदीय तथा सेवा कर को समाहित करेगा।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि समन्वित जीएसटी या आईजीएसटी के साथ-साथ एसजीएसटी तथा सीजीएसटी को जीएसटी परिषद की 18 फरवरी को अगली बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा। जीएसटी या आईजीएसटी वह कर है जिसे केंद्र वस्तुओं एवं सेवाओं की अंतर-राज्यीय आवाजाही पर लगाएगा। उन्होंने कहा कि एक बार मंजूरी मिलने के बाद परिषद विभिन्न कर स्लैब में वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगाने के बारे में फैसला करेगी।
जीएसटी के प्रशासन पर गतिरोध से जीएसटी परिषद में नवंबर से आम सहमति नहीं हो पा रही थी। इससे पहले, लगातार चार बैठकों में गतिरोध खत्म नहीं हो पाया क्योंकि केंद्र क्षैतिज विभाजन के पक्ष में नहीं था। उसने कहा कि राज्यों के पास सेवा कर जैसे शुल्कों के प्रशासन के संबंध में विशेषज्ञता नहीं है।
जेटली ने कहा, ‘जीएसटी क्रियान्वित करने की वास्तविक तारीख अब एक जुलाई है जबकि पहले यह एक अप्रैल थी।’ उन्होंने कहा कि चूंकि जीएसटी एक सौदा कर है, जिसे बिक्री वाले स्थान पर लगाया जाता है, अत: वित्त वर्ष की शुरूआत से क्रियान्वित करने की आवश्यकता नहीं है।
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि परिषद की बैठक में उन्होंने असहमति जताई क्योंकि उनकी सरकार डेढ़ करोड़ रपये तक का कारोबार करने वाली 100 प्रतिशत इकाइयों पर राज्यों का नियत्रंण चाहती है। हालांकि, उन्होंने फैसले के मुताबिक 90 प्रतिशत ऐसी इकाइयों को राज्यों के अधिकार क्षेत्र में रखे जाने को छोटे व्यापारियों के हक में राज्यों की जीत बताया।
केरल के वित्त मंत्री टी एम थॉमस इसाक ने हालांकि, इससे पहले कहा कि जीएसटी व्यवस्था में प्रशासन को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ, क्योंकि राज्य करदाताओं पर अपना पूरा नियंत्रण चाहते हैं। थॉमस ने संवाददाताओं से कहा, ‘कोई समझौता नहीं हुआ, हालांकि, विचार विमर्श अभी जारी है। कर प्रशासन किस प्रकार होगा इस पर समझौता नहीं हुआ है।’
हालांकि, उन्होंने कहा कि अब तक की बातचीत में कई अन्य मुद्दों पर सहमति बनी है। एकीकृत जीएसटी विधेयक में साझा अधिकार मॉडल पर समझौता हुआ है। राज्यों से लगने वाले समुद्री क्षेत्र में कराधान का अधिकार राज्यों को दिये जाने पर भी सहमति बनी है।