DNA with Sudhir Chaudhary: शाहीन बाग में बुलडोजर रुकवाने वाले न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के लिए SC क्यों नहीं पहुंचे?
DNA on Shaheen Bagh: क्या शाहीन बाग देश के बाकी हिस्सों से अलग है. क्या वहां पर देश का कानून लागू नहीं होता. शाहीन बाग में अतिक्रमण की कार्रवाई रुकवाने के लिए कई लोग सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे लेकिन मंगलवार को जब पास की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में बुलडोजर चला तो वे लोग कहीं दिखाई नहीं दिए.
DNA on Shaheen Bagh: शाहीन बाग (Shaheen Bagh) के लोग आखिर किस ताकत के दम पर बुलडोजर को रोकते हैं और वापस भेज देते हैं. जबकि देश के बाकी इलाकों के लोग कैसे देश के संविधान और कानून के सामने मजबूर हो जाते हैं.
शाहीन बाग से 6 किलोमीटर दूर फिर चला बुलडोजर
शाहीन बाग (Shaheen Bagh) के लोगों ने सोमवार को बुलडोज़रों को रोक दिया था और अतिक्रमण हटाने की मुहिम को एक खास मजहब से जोड़ दिया था. मंगलवार को उसी शाहीन बाग से सिर्फ 6 किलोमीटर एक दूसरे इलाके में वही बुलडोजर पहुंचे और उन्होंने अतिक्रमण हटाने का काम पूरा कर लिया. इस दौरान तो कोई हंगामा हुआ, ना ही मजहब को लेकर कोई नारेबाजी हुई और ना ही कोई सुप्रीम कोर्ट गया. इससे ये पता चलता है कि आजादी के 75 साल बाद भी हमारे देश में ऐसे इलाके और ऐसे लोग मौजूद हैं, जो देश का कानून मानने से इनकार कर सकते हैं और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
कार्रवाई रुकवाने के लिए कोई SC नहीं गया
मंगलवार को देश की राजधानी दिल्ली के एक और इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ़ बुलडोजर चलाया गया. ये इलाक़ा दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) से सिर्फ 6 किलोमीटर दूर है. लेकिन शाहीन बाग में तो एक खास धर्म के लोग दिल्ली नगर निगम के बुलडोजरों को खाली हाथ लौटने के लिए मजबूर कर देते हैं और यहां दिल्ली नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं कर पाता.
शाहीन बाग (Shaheen Bagh) से कुछ ही दूर मंगलवार को जब New Friends Colony इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई हुई तो इस कार्रवाई को रुकवाने के लिए ना तो कोई सुप्रीम कोर्ट गया और ना ही इस कार्रवाई पर कोई शोर मचा. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यहां एक खास धर्म के लोग नहीं रहते.
ये दोनों तस्वीरें देश की राजधानी दिल्ली की हैं. ये दोनों इलाके एक दूसरे से ज्यादा दूर नहीं हैं. इसके बावजूद शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में तो भारत का संविधान और भारत का कानून नहीं चलता. लेकिन जिस इलाक़े में दूसरे धर्म के लोग रहते हैं, वहां बुलडोज़र भी चलता है और बिना किसी विरोध और हंगामे के अतिक्रमण के खिलाफ़ कार्रवाई भी होती है.
खास मजहब वाले इलाकों में क्यों नहीं होती कार्रवाई
इसलिए बड़ा सवाल ये है कि क्या अब हमारे देश में उन इलाकों में कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, जहां एक खास धर्म के लोग रहते हैं?
मंगलवार को दिल्ली में एक या दो इलाकों में नहीं बल्कि 6 इलाकों में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई हुई. इनमें से ज्यादातर कार्रवाई उन इलाक़ों में हुई, जहां हिन्दू रहते हैं. इन इलाकों में फुटपाथ और सड़कों पर किए गए अवैध निर्माण को हटाने का काम किया गया. इस दौरान किसी भी इलाके में कोई विरोध प्रदर्शन और हंगामा नहीं हुआ.
हिंदू बहुल आबादी एरिया में जमकर चला बुलडोजर
दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में भी अवैध कब्जे हटाने के लिए बुलडोजर चलाए गए. ये इलाका देश के संसद भवन से सिर्फ 22 किलोमीटर दूर है. यहां हिन्दुओं ने भी पब्लिक की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ था और मुसलमानों ने भी सरकारी जमीन पर दीवारे खड़ी हुई थीं. इस कार्रवाई में सभी तरह के अतिक्रमण को हटा दिया गया.
इस कार्रवाई में ना तो मन्दिर के हिस्से पर कोई कार्रवाई हुई और ना ही वहां मौजूद मस्जिद के किसी हिस्से पर बुलडोज़र चलाया गया. हमारे देश में जो लोग ये आरोप लगाते हैं कि बुलडोजर धर्म देख कर काम करता है, उन्हें मंगलवार की ये कार्रवाई भूलनी नहीं चाहिए.