कहानी उन 11 गांवों की, जहां रहने वाले 25 हजार वोटर्स का ये आखिरी चुनाव
Advertisement
trendingNow11076924

कहानी उन 11 गांवों की, जहां रहने वाले 25 हजार वोटर्स का ये आखिरी चुनाव

उत्तर प्रदेश में 2 जगहें ऐसी हैं जहां के लिए आगामी विधान सभा चुनाव बहुत अहम होने वाले हैं. पहली कहानी उन 11 गांवों की है, जहां रहने वाले 25 हजार वोटर्स का ये आखिरी चुनाव है और दूसरी कहानी उस गांव की है, जहां आजादी के बाद सही मायनों में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव होने वाले हैं.

कहानी उन 11 गांवों की, जहां रहने वाले 25 हजार वोटर्स का ये आखिरी चुनाव

नई दिल्ली: आइए आपको उत्तर प्रदेश में 2 जगहों से चुनाव पर खास जानकारी देते हैं. पहली कहानी उन 11 गांवों की है, जहां रहने वाले 25 हजार वोटर्स का ये आखिरी चुनाव है और दूसरी कहानी उस गांव की है, जहां आजादी के बाद सही मायनों में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव होने वाले हैं.

  1. दो ऐसे गांव की अनोखी जिनके लिए ये चुनाव अहम हैं
  2. कहानी 11 गांवों की, जहां रहने वाले वोटर्स का ये आखिरी चुनाव है
  3. कहानी गैंगस्टर के गांव के पहले लोकतांत्रिक चुनाव की

क्या है इन 11 गांवों की कहानी? 

ये सभी गांव उत्तर प्रदेश के सोमभद्र जिले में हैं, जहां एक सिंचाई परियोजना के तहत बांध का निर्माण किया जा रहा है. इस बांध का निर्माण इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा, जिसके बाद ये सभी गांव पानी में विलीन हो जाएंगे और यहां रहने वाले 25 हजार वोटर्स को दूसरी जगह पर बसाया जाएगा. यानी इन 11 गांवों के लोगों के लिए ये आखिरी चुनाव साबित होगा. गांवों की तरह ना डूबे.

घर छूटने का दुख

वैसे ये परियोजना वर्ष 1976 से ही अधूरी पड़ी थी और तभी से इस गांव के लोग, विस्थापन का इंतजार कर रहे हैं. यहां रहने वाले प्रत्येक परिवार को उनकी जमीन के बदले 7 लाख रुपये मुआवजा दिया गया है. हालांकि लोगों का कहना है कि ये मुआवजा कई हिस्सों में दिया गया और इस दौरान तीन पीढ़ियां बदल चुकी हैं. इन 11 गांवों के लोग यहां से अपना आखिरी वोट डालने के लिए उत्साहित हैं. लेकिन घर और जमीन छोड़ने की पीड़ा उनके मन में है. इसलिए वो चाहते हैं कि सरकार उनकी मदद करे, ताकि उनका भविष्य उनके गांवों की तरह ना डूबे.

'गैंगस्टर के गांव का पहला लोकतांत्रिक चुनाव'

दूसरी ग्राउंड रिपोर्ट, कानपुर के उस बिकरु गांव से हैं, जहां 2 जुलाई 2020 की रात को गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने अंधाधुंध गोलियां चला कर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी और इस घटना के कुछ दिन बाद गैंगस्टर विकास दुबे, एक एनकाउंटर में मारा गया था. इस गांव के लोगों का कहना है कि वो सही मायनों में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव में वोट डाल पाएंगे. क्योंकि, इससे पहले तक यहां चुनाव तो होते थे लेकिन गांव के लोग, किस पार्टी और उम्मीदवार को वोट करेंगे, ये फैसला विकास दुबे खुद लेता था. लेकिन अब यहां ना तो विकास दुबे की दहशत है और ना ही लोगों पर किसी उम्मीदवार को जबरदस्ती वोट देने का दबाव है. यानी इन लोगों को पहली बार लोकतांत्रिक आजादी मिलने जा रही है. 

दहशत से आजाद हुआ गांव

देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 500 किलोमीटर दूर, सैकड़ों लोग उत्तर प्रदेश के चुनाव में वोट डालने का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि इन लोगों के लिए सही मायनों में पहला लोकतांत्रिक चुनाव इस बार होने जा रहा है. ये सभी लोग एक गांव में रहते हैं और इस गांव का नाम है, बिकरू. गैंगस्टर विकास दुबे की दहशत ने बिकरू को कई दशकों तक डरा कर रखा. यहां चुनाव तो हुए, लेकिन इन चुनावों मे लोगों के वोट विकास दुबे की पसंद के हिसाब से तय होते थे. तीन दशक से भी ज्यादा वक्त तक ये इलाका विकास दुबे के खौफ के साए में जीता रहा और ये खौफ ऐसा था कि लोग अपने घरों से निकलने में भी डरते थे. लेकिन अब ये गांव विकास दुबे की दहशत से आजाद हो चुका है.

बदल गई गांव की तस्वीर

2 जुलाई 2020 की घटना से पहले विकास दुबे अपने घर के बाहर ही एक दरबार सजाता था, जहां वो फैसले सुनाया करता था. लेकिन 8 पुलिसकर्मियों की हत्या और उसके एनकाउंटर के बाद, इस गांव की तस्वीर बदल चुकी है. बिकरू में इस बार 20 फरवरी को वोटिंग होनी है. 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news