DNA: 'शिक्षा का केंद्र नहीं पैसा बनाने की मशीन है'...दिल्ली के स्कूलों में फीस बढ़ाने पर बोला कोर्ट
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DNA: 'शिक्षा का केंद्र नहीं पैसा बनाने की मशीन है'...दिल्ली के स्कूलों में फीस बढ़ाने पर बोला कोर्ट

DNA Analysis: औरंगजेब की कब्र के मामले में संयुक्त राष्ट्र कुछ कर पाएगा. इसपर सवाल हैं. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में फीस क्रांति तय है. हमारी अगली खबर ध्यान से पढ़िए, क्योंकि ये दिल्ली के करोड़ों माता पिता और उनके बच्चों से जुड़ी है.

DNA: 'शिक्षा का केंद्र नहीं पैसा बनाने की मशीन है'...दिल्ली के स्कूलों में फीस बढ़ाने पर बोला कोर्ट

DNA Analysis: औरंगजेब की कब्र के मामले में संयुक्त राष्ट्र कुछ कर पाएगा. इसपर सवाल हैं. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में फीस क्रांति तय है. हमारी अगली खबर ध्यान से पढ़िए, क्योंकि ये दिल्ली के करोड़ों माता पिता और उनके बच्चों से जुड़ी है. दिल्ली के कुछ प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस को लेकर अब अदालत भी सख्त हो गई है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में दिल्ली के द्वारका में DPS स्कूल की ब्रांच को पैसा बनाने की मशीन करार दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि स्कूल में बच्चों के साथ जो हुआ उसे टॉर्चर की श्रेणी में माना जाएगा. दरअसल, कोर्ट में स्कूल के खिलाफ कुछ अभिभावकों ने याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि जिन अभिभावकों ने स्कूल की बढ़ी हुई फीस देने से मना किया था. उनके बच्चों को क्लास की जगह लाइब्रेरी में बैठाया गया. उनके साथ भेदभाव किया गया. कोर्ट जाने से पहले इस मामले पर अभिभावकों ने प्रदर्शन भी किया था.

अभिभावकों शिक्षामंत्री के घर बाहर जाहिर की नाराजगी
ये मामला DPS द्वारका से शुरू हुआ और दिल्ली भर में मनमानी फीस का विरोध शुरु हो गया. दिल्ली के शिक्षा विभाग के सामने पहुंचकर अभिभावकों ने प्रदर्शन किया. शिक्षामंत्री आशीष सूद के घर के बाहर भी बच्चों के माता पिता ने बढ़ी हुई फीस पर नाराजगी जाहिर की और कुछ स्कूलों के बाहर भी प्रदर्शन हुए. हर प्रदर्शन में एक ही आवाज उठी. स्कूलों में मनमानी फीस पर रोक लगनी चाहिए और फीस को लेकर सख्त नियमावली होनी चाहिए

दिल्ली के नियमों के अनुसार, प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा विभाग की अनुमति लेनी होती है. लेकिन आरोप है कि 80 प्रतिशत स्कूल ऐसा नहीं करते यानी मनमाने ढंग से फीस बढ़ाते हैं. प्राइवेट स्कूलों में फीस की बढ़ोतरी पर एक सर्वे हुआ था. इस सर्वे को आप ध्यान से पढ़िए. ताकि आप तय कर सकें कि स्कूल अब शिक्षा का मंदिर हैं.या पैसा छापने की मशीन.

सर्वे में हुआ ये खुलासा
इस सर्वे से पता चला था कि पिछले तीन साल देशभर के प्राइवेट स्कूलों में 50 से लेकर 80 प्रतिशत तक फीस बढ़ा दी गई. सर्वे में शामिल 42 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा था कि उनके बच्चे की फीस 50 प्रतिशत तक बढ़ी है. जबकि 26 प्रतिशत का कहना था कि स्कूल की फीस में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है. सर्वे से ये भी पता चला था कि अधिकतर निजी स्कूल हर साल 10 से 15 प्रतिशत तक फीस बढ़ा देते हैं. और ये बढ़ी हुई राशि बिल्डिंग फीस, मैंटनेंस चार्ज जैसे खर्चों के तहत ली जाती है, जो पहले स्कूल फीस का हिस्सा नहीं होते थे.

तीन सालों में शायद ही किसी माता-पिता की आय 50 प्रतिशत तक बढ़ी हो. लेकिन फीस में लगातार भारी बढ़ोतरी की वजह से ही दिल्ली के अभिभावक सड़कों पर आए. अदालत की शरण में जाने को मजबूर हुए. अभिभावकों के विरोध का असर सरकार पर भी हुआ है.

दिल्ली सरकार ने ऑडिट किया शुरू
दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने स्कूलों का ऑडिट शुरु कर दिया है. पहले चरण में एक हफ्ते के अंदर ही 600 स्कूलों का ऑडिट किया गया, जिसमें 10 स्कूल ऐसे पाए गए जिन्होंने हद से ज्यादा फीस बढ़ाई गई है. इन सभी स्कूलों को सरकार की तरफ से नोटिस जारी कर दिया गया है. सरकार का कहना है कि महीने भर के अंदर दिल्ली में पंजीकृत सभी 1670 स्कूलों का ऑडिट पूरा कर लिया जाएगा.

बच्चों के अभिभावक लंबे वक्त से त्रस्त थे. अगर वो अदालत तक ना जाते तो शायद सरकार भी इतनी जल्दी कार्रवाई नहीं करती और दिल्ली के स्कूलों में मनमानी फीस वसूलने का ये सिलसिला कभी नहीं रुकता. हमें लगता है कि ये फीस क्रांति सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहनी चाहिए. बल्कि पूरे देश में इसे फैलाने की जरूरत है. क्योंकि फीस बढ़ाने को लेकर हो रही स्कूलों की मनमानी से देश भर के अभिभावक परेशान हैं.

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