Independence Day 2024: 15 अगस्त को आजादी मिलने के देश की नई-नई बनी सरकार के सामने कई चुनौतियां थी. जिसमें से सबसे बड़ी चुनौती देश का एकीकरण आज हम अपने इस आर्टिकल में जानेंगे उन रियासतों के बारे में जिन्होंने आजादी के बाद देश में शामिल होने से मना कर दिया था.
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Independence Day 2024: भारत को आजादी 15 अगस्त को 1947 को मिल गई थी. आजादी के तुरंत बाद देश में बनी स्वदेशी सरकार के लिए कई चुनौतियां थी. जिसमें से सबसे बड़ी चुनौती थी. देश का एकीकरण आजादी के समय देश कई छोटे बड़े रियासतों में बंटा हुआ था. देश के एकीकरण की जिम्मेदारी देश के पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल को दी गई थी. इन्होने देश में फैली सभी रियासतों से अपील किया की वो आजाद भारत का हिस्सा बन जाएं. जिनमें से कई रियासतों ने खुशी-खुशी इस प्रस्ताव को मान लिया था. लेकिन देश की कुछ रियासते ऐसी भी थी. जिन्होनें आजाद भारत का हिस्सा होने से मना कर दिया था. आज अपने इस आर्टिकल में हम इन्हीं राज्यों के बारें बताने जा रहे है.
इन राज्यों ने किया था इंकार
त्रावणकोर
इस लिस्ट में पहला नाम त्रावणकोर का है. त्रावणकोर ने भारत में शामिल होने से इंकार कर दिया था. ये राज्य चाहता था कि इसे स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिले. त्रावणकोर भारत के व्यापार के लिए खास महत्व रखता था. क्योकिं ये राज्य समुद्री व्यापार और मानव और खनिज संसाधनों से भरा था.
जोधपुर
वर्तमान में राजस्थान में मौजूद जोधपुर रियासत भी देश में शामिल होने से मना कर दिया था. जोधपुर राज्य एक हिन्दू राजा के अधीन था और राज्य में हिंदुओं की संख्या भी ज्यादा थी. लेकिन फिर भी इस राज्य ने देश का हिस्सा होने से इंकार इस लिए कर दिया क्योकिं पाकिस्तान से इसके लिए कई ऑफर थें.
भोपाल
भोपाल रियासत ने भी देश में शामिल होने से मना कर दिया था. इसने अपने लिए स्वतंत्र राज्य की मांग की थी. यहां का शासक हामिदुल्लाह खान था. जो मुस्लिम लीग का करीबी था.
हैदराबाद
आजादी के बाद हैदराबाद के रियासत का निजाम अपने रियासत के लिए स्वतंत्र राज्य का दर्जा देने की मांग पर अड़ गया था. जिसके बाद सरदार पटेल ने इसे अपने सूझबूझ से देश का हिस्सा बनाया.
जूनागढ़
हैदराबाद के जैसे ही जूनागढ़ का भी शासक भारत में शामिल होने से इंकार कर दिया था. ये राज्य भारत के लिए रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण थे.