...तो सरकार ने इसलिए बनाया लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को सेना प्रमुख
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...तो सरकार ने इसलिए बनाया लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को सेना प्रमुख

सरकार ने शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया सेना प्रमुख नियुक्त किया लेकिन इस नियुक्ति पर कांग्रेस और वाम दल ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया सेना प्रमुख बनाया। जबकि सरकार ने कहा है कि नियमों के आधार नए सेना प्रमुख की नियुक्ति की गई है। वहीं, मीडिया में रक्षा सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अभियानगत अनुभव को ध्यान में रखते हुए रावत को सेना प्रमुख बनाया गया है।

...तो सरकार ने इसलिए बनाया लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को सेना प्रमुख

नई दिल्ली : सरकार ने शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया सेना प्रमुख नियुक्त किया लेकिन इस नियुक्ति पर कांग्रेस और वाम दल ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया सेना प्रमुख बनाया। जबकि सरकार ने कहा है कि नियमों के आधार नए सेना प्रमुख की नियुक्ति की गई है। वहीं, मीडिया में रक्षा सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अभियानगत अनुभव को ध्यान में रखते हुए रावत को सेना प्रमुख बनाया गया है।

मीडिया में रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया कि दावेदारों की सूची में रावत सबसे अधिक सक्षम पाए गए। सरकार के सूत्रों ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरलों में से लेफ्टिनेंट जनरल रावत को उत्तर में पुनर्गठित सैन्य बल, लगातार आतंकवाद एवं पश्चिम से छद्म युद्ध एवं पूर्वोत्तर में हालात समेत उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सर्वाधिक उचित पाया गया।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल रावत के पास पिछले तीन दशकों से भारतीय सेना में विभिन्न कार्यात्मक स्तरों पर एवं युद्ध क्षेत्रों में सेवाएं देने का बेहतरीन व्यावहारिक अनुभव है। उन्होंने पाकिस्तान के साथ लगती नियंत्रण रेखा, चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा एवं पूर्वोत्तर समेत कई इलाकों में परिचालन संबंधी विभिन्न जिम्मेदारियां संभाली हैं। उन्हें एक सैनिक के तौर पर सेवाएं देने, नागरिक समाज के साथ जुड़ने एवं करुणा के प्रति संतुलित दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने रविवार को कहा कि पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और दक्षिणी सेना कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हरीज लेफ्टिनेंट जनरल रावत से वरिष्ठ हैं। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सेना प्रमुख पद पर लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति नियमों के अनुसार की गई है।

शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि रावत की नियुक्ति पर सवाल उठाना सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है।

रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी ने कहा कि सेना प्रमुख पद पर रावत की नियुक्ति अनुभव के आधार पर हुई है।

हालांकि सेना में वरिष्ठ अधिकारी की जगह अन्य अधिकारी को सेना प्रमुख बनाना नई बात नहीं है लेकिन हाल के वर्षों में ऐसा नहीं देखा गया है। वर्ष 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लेफ्टिनेंट जनरल एस वैद्य को लेफ्टिनेंट जनरल एस के सिन्हा से आगे बढ़ाते हुए सेना प्रमुख नियुक्त किया था। लेफ्टिनेंट जनरल सिन्हा ने विरोध में इस्तीफा दे दिया था।

इससे पहले गांधी सरकार ने जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) सैम मानेकशॉ के बाद कार्यभार संभालने के लिए बहुत लोकप्रिय लेफ्टिनेंट जनरल पी एस भगत को दरकिनार करते हुए जनरल जी जी बेवूर के कार्यकाल में एक साल का विस्तार दिया और इस दौरान भगत सेवानिवृत्त हो गए। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि नए सेना प्रमुख के चयन के लिए उपयुक्तता एवं योग्यता पर ध्यान केंद्रित किया गया।

रक्षा सूत्रों ने कहा कि आर्म्ड कोर के अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी अपने करियर के अधिकतर समय जोधपुर में रहे और कश्मीर में उन्हें दो बार तैनात किया गया लेकिन वे जिन पदों पर थे, उन्हें फील्ड पोस्टिंग नहीं माना जाता। सूत्रों ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल हारिज को उग्रवाद से निपटने या नियंत्रण रेखा पर कार्रवाई के संबंध में परिचालन से जुड़े क्षेत्रों में कोई अनुभव नहीं है। लेफ्टिनेंट जनरल रावत की सेना प्रमुख के रूप में अचानक पदोन्नति से बल में उत्तराधिकार वरीयता क्रम प्रभावित नहीं होगा।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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