दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने किस तरह कोरोना के खिलाफ किया लड़ाई का सफल नेतृत्‍व?
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दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने किस तरह कोरोना के खिलाफ किया लड़ाई का सफल नेतृत्‍व?

अरविंद केजरीवाल की अगुआई में AAP सरकार (AAP Government) ने राष्ट्रीय राजधानी में घातक कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कई उपाय किए.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली में AAP सरकार (AAP Government) ने राष्ट्रीय राजधानी में घातक कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कई उपाय किए. वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवालअरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने आगे आकर खुद COVID-19 के खिलाफ इस लड़ाई का नेतृत्व किया. केंद्र, दिल्ली सरकार, दिल्ली के अस्पतालों, स्वास्थ्यकर्मियों के सामूहिक प्रयासों के ही दम पर देश की राजधानी में COVID-19 रिकवरी दर में अच्‍छी-खासी वृद्धि हुई है. इसके साथ ही यहां मृत्यु दर में भारी गिरावट भी हुई है.

  1. AAP सरकार ने कोरोना प्रसार रोकने के कई उपाय किए
  2. सीएम केजरीवाल ने खुद किया कोरोना के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्‍व 
  3. सभी हितधारकों को साथ लेकर किए सम्मिलित प्रयास 
  4.  

जब मार्च में देशव्‍यापी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (Nationwide Lockdown) लगा तो इसने कोविड ​​-19 वायरस के तेजी से हो रहे प्रसार को रोकने में मदद तो की लेकिन इसने देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे पर भी गहरा असर डाला. कई लोगों ने अपनी नौकरियां खो दीं, तो हर रोज कमाने-खाने वालों के पास कमाई का कोई जरिया नहीं बचा. भोजन और आश्रय न रहने पर इन्‍हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा. ऐसे हालातों ने सरकार के राजस्व में तेजी से गिरावट लाई. कुल मिलाकर यह स्पष्ट हो गया कि कोरोना से निपटने के लिए लॉकडाउन दीर्घकालिक रणनीति नहीं हो सकती है और अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोला जाना चाहिए.

लिहाजा लंबे लॉकडाउन के बाद आया अनलॉक 1.0. जून की पहली तारीख को केंद्र सरकार ने अनलॉक 1.0 घोषित किया. इसने अर्थव्यवस्था को तो खोल दिया लेकिन यह दिल्ली के लिए ढेर सारी मुश्किलें लेकर आया. जून के पहले सप्ताह में ही दिल्ली में मामलों और मौतों की बढ़ती संख्या ने यहां के नागरिकों को दहशत में ला दिया. यही वो समय था जब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुद आगे आकर COVID-19 के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने का फैसला किया. यह वो ट्रंप कार्ड था, जिसने COVID-19 महामारी से निपटने में मदद की.

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मुख्यमंत्री का जनता से सीधा जुड़ाव 
महामारी के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से सीधा जुड़ाव रखा. चाहे होम आइसोलेशन का मतलब समझाना हो या ऑक्सीमीटर के काम करने का तरीका बताना हो या फिर प्लाज्मा दान करने के फायदे गिनाना हो और अस्पतालों के बेड बढ़ाने की बात बतानी हो, इस सबके लिए उन्‍होंने जनता से खुद सीधे संवाद किया. 

इस तरह दिल्‍ली के लोगों को हर बात एक बहुत ही विश्‍वसनीय तरीके से सूचित की गई. जाहिर है जब शहर को कोरोना वायरस जैसी बीमारी से सामना करना हो तो वहां ऐसा जुड़ाव होना बहुत जरूरी था. इससे ही लोगों के व्‍यवहार में एक परिवर्तन आया जिसने महामारी को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई. वरना इतने कम समय में लोगों में इतना परिवर्तन लाना आसान बात नहीं थी. 

सभी हितधारकों को भी शामिल किया
इस महामारी के प्रबंधन के लिए अरविंद केजरीवाल ने एक और तरीका आजमाया. महामारी से लड़ने के लिए केवल सरकारी तंत्र पर निर्भर होने के बजाय उन्‍होंने सभी हितधारकों को भी इससे जोड़ा. वेंटिलेटर, मास्क, परीक्षण किट और मेडिकल स्टाफ देने वाली केंद्र सरकार से लेकर, कमरे उपलब्‍ध कराने वाले होटल, कोविड केयर सेंटर चलाने में मदद करने वाले एनजीओ, स्वयंसेवक-डॉक्टर जिन्होंने COVID पॉजिटिव रोगियों के लिए चलाई जा रही हेल्पलाइन में अपना सहयोग दिया, ऐसे वॉलेंटियर्स जिन्‍होंने होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों के लिए ग्रॉसरी खरीदने तक में मदद की. इन सभी को केजरीवाल एक साथ लेकर आए. 

इतना ही नहीं जनता की हर शिकायत को तुरंत सुना जाए और दूर किया जाए, इसके लिए हर मेडिकल फैसिलिटी में अपने प्रतिनिधियों की फौज बैठाई. मुख्यमंत्री से लेकर विधायकों के सहयोगियों तक को उनके कार्यालयों से निकालकर जिला कार्यालयों में बैठाया गया, ताकि वे COVID-19 रोगियों की प्रबंधन प्रक्रिया में मदद कर सकें. इसके अलावा मरीजों को ट्रेस करने और आइसोलेट करने में कम्‍युनिटी वॉलेंटियर्स की मदद ली गई. 

यही वह सम्मिलित प्रयास थे जिसने दिल्ली में COVID-19 महामारी को स्थिर करने में मदद की.

कोरोना वायरस पर काबू पाने में दिल्ली की सफलता अस्पताल के बुनियादी ढांचे का विस्तार करने, परीक्षण बढ़ाने या आक्रामक रूप से रोगियों को आइसोलेट करने पर आधारित नहीं है. बल्कि इसमें महामरी के कारण पैदा हुईं मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक चुनौतियों को समझने की क्षमता और सार्वजनिक स्वास्थ्य को हल करने की राजनीतिक इच्छा शक्ति का भी पूरा समावेश है. जिसने इस संकट में दिल्ली के दिल की सुनी और उसकी समस्‍या को दूर करने के लिए दिन-रात एक कर दिया.  

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