Uttarakhand: Tirath Singh Rawat दे सकते हैं सीएम पद से इस्तीफा, जेपी नड्डा को दिया पत्र
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Uttarakhand: Tirath Singh Rawat दे सकते हैं सीएम पद से इस्तीफा, जेपी नड्डा को दिया पत्र

Tirath Singh Rawat may resign from the CM post of Uttarakhand: उत्तराखंड में एक बार फिर राजनीतिक संकट खड़ा होता दिख रहा है. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. 

Uttarakhand: Tirath Singh Rawat दे सकते हैं सीएम पद से इस्तीफा, जेपी नड्डा को दिया पत्र

नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) में बीजेपी का संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है. तीन महीने पहले सीएम बदलने के बाद अब पार्टी के सामने फिर नेतृत्व का संकट आ खड़ा हुआ है. 

  1. नड्डा से दो बार मिले रावत
  2. क्या उत्तराखंड में होंगे उपचुनाव?
  3. विधायक की दो सीटें हैं खाली

नड्डा से दो बार मिले रावत

सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र दिया है. इस पत्र में उन्होंने कहा है कि वे सीएम पद से इस्तीफा देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है. ऐसे में उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए. 

बताते चलें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) तीन दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं. सीएम रावत ने शुक्रवार को पिछले 24 घंटों के भीतर दूसरी बार पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की. मुलाकातों के इस दौर से प्रदेश में एक और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें आरंभ हो गई हैं. 

क्या उत्तराखंड में होंगे उपचुनाव?

सूत्रों के मुताबिक ये अटकलें इसलिए लग रही हैं क्योंकि उत्तराखंड (Uttarakhand) विधानसभा चुनावों में एक वर्ष से भी कम का समय बचा है. वहीं अपने पद पर बने रहने के लिए रावत का 10 सितम्बर तक विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना संवैधानिक बाध्यता है. पौड़ी से मौजूदा लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत ने इस साल 10 मार्च को ही त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री का पद संभाला था.

नड्डा से मुलाकात के बाद रावत (Tirath Singh Rawat) ने कहा कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष से आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा की. राज्य में उपचुनाव कब होंगे, इस सवाल पर रावत ने कहा कि इस बारे में निर्वाचन आयोग ही कोई फैसला कर सकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस बारे में जो भी रणनीति तय करेगा, उस पर आगे काम किया जाएगा. 

बताते चलें कि प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं. जहां उपचुनाव कराया जाना है. चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है. जिसमें अब साल भर से कम का समय बचा है. ऐसे में कानून के जानकारों का मानना है कि उपचुनाव कराए जाने का फैसला निर्वाचन आयोग के विवेक पर निर्भर करता है.

विधायक की दो सीटें हैं खाली

उत्तराखंड में अटकलें लगाई जा रही हैं कि रावत (Tirath Singh Rawat) गढ़वाल क्षेत्र की गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं. यह सीट बीजेपी विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन से खाली हुई थी. वहीं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी सीट खाली हुई है. इन दोनों सीटों पर चुनाव आयोग ने अब तक उपचुनाव की घोषणा नहीं की है.

विकासनगर से बीजेपी विधायक और पूर्व प्रदेश पार्टी प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा, ‘यह निर्णय पूरी तरह से चुनाव आयोग के दायरे में है कि राज्य में उपचुनाव कराना है या नहीं. सब कुछ निर्वाचन आयोग पर निर्भर करता है.’

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ऐसे निकल सकता है राजनीतिक संकट

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि राज्य (Uttarakhand) एक संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहा है. उपचुनाव न होने की स्थिति में संवैधानिक संकट का हल तभी निकल सकता है. जब मुख्यमंत्री रावत के स्थान पर किसी ऐसे व्यक्ति को कमान सौंपी जाए जो विधायक हो. (एजेंसी भाषा इनपुट)

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