त्रिपुरा: पिछली बार मिले 1.5 प्रतिशत वोट, अबकी बार सत्‍ता की दहलीज तक BJP
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त्रिपुरा: पिछली बार मिले 1.5 प्रतिशत वोट, अबकी बार सत्‍ता की दहलीज तक BJP

इसके साथ ही पिछले दो दशकों से त्रिपुरा की सत्‍ता के निर्विवाद चेहरा रहे माकपा(सीपीएम) नेता मुख्‍यमंत्री माणिक सरकार इस बार अब तक की सबसे कड़ी सियासी लड़ाई लड़ रहे हैं.

2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को पहली बार त्रिपुरा में छह प्रतिशत वोट मिले (फाइल फोटो)

त्रिपुरा के सियासी इतिहास में बीजेपी को इस बार सबसे ज्‍यादा सियासी फायदा मिलता दिख रहा है. पिछले 25 वर्षों से सत्‍ता पर काबिज लेफ्ट शासन को इस बार बीजेपी ने कड़ी टक्‍कर दी है. दोनों के बीच शुरुआती रुझानों में कांटे की टक्‍कर देखने को मिल रही है. बीजेपी के लिए यह बड़ा मौका इसलिए है क्‍योंकि अब तक यह पार्टी राज्‍य में सियासी हाशिए पर रही है. पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को महज 1.5 प्रतिशत वोट मिले थे.

  1. 2014 में बीजेपी को मिले राज्‍य में छह प्रतिशत वोट
  2. पिछले एक साल से पार्टी के कैडर में जबर्दस्‍त बढ़ोतरी
  3. माणिक सरकार लड़ रहे सबसे कठिन सियासी लड़ाई

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2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को पहली बार त्रिपुरा में सर्वाधिक छह प्रतिशत वोट मिले. उसके बाद से बीजेपी के सियासी ग्राफ में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली. उसके बाद से पार्टी ने यहां लगातार अपने कैडर को बनाने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं. राज्‍य के आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी ने अच्‍छी पकड़ बनाई. 60 में से करीब 25 सीटों पर प्रभावी भूमिका निभाने वाले आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी की बढ़ती पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नरेंद्र मोदी ने सोनामुरा रैली के जरिये बीजेपी के चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया तो उसमें उपस्थित भारी भीड़ ने इसका अहसास कराया कि अबकी बार बीजेपी यहां मजबूत होकर उभरेगी. शुरुआती रुझान इस अनुमान पर अपनी मुहर लगाते दिख रहे हैं.

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इसके साथ ही पिछले दो दशकों से त्रिपुरा की सत्‍ता के निर्विवाद चेहरा रहे माकपा(सीपीएम) नेता मुख्‍यमंत्री माणिक सरकार इस बार अब तक की सबसे कड़ी सियासी लड़ाई लड़ रहे हैं. वैसे तो माकपा का शासन त्रिपुरा में पिछले 25 सालों से हैं और माणिक सरकार 1997 से राज्‍य के मुख्‍यमंत्री हैं लेकिन इस बार उनको पहली बार बीजेपी के रूप में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा  है. कांग्रेस की सूबे की सत्‍ता से साफ होने और उसकी जगह पिछली बार तृणमूल कांग्रेस के उभार लेकिन बाद में आंतरिक टूट-फूट का सीधा लाभ बीजेपी को मिला है. इसलिए इस बार त्रिपुरा में पहली बार सीधी लड़ाई माकपा के नेतृत्‍व में वाम मोर्चे और बीजेपी के बीच हुई है. त्रिपुरा में माकपा की सबसे बड़ी पूंजी माणिक सरकार की स्‍वच्‍छ छवि मानी जा रही है. बीजेपी इस बात को अच्‍छी तरह से जानती है. इसलिए पीएम नरेंद्र मोदी ने सबसे पहली चुनावी रैली मुस्लिम बहुल इलाके सोनामुरा में की थी. इसके जरिये बीजेपी ने माणिक सरकार को सीधी चुनौती दी. ऐसा इसलिए क्‍योंकि माणिक सरकार इसके पड़ोस में स्थित धनपुर सीट से चुनाव लड़ते हैं. सोनामुरा से बीजेपी प्रत्‍याशी आगे चल रहा है और धनपुर से माणिक सरकार आगे चल रहे हैं.

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कांग्रेस
इन सबके बीच त्रिपुरा में कांग्रेस का प्रदर्शन कोई खास नहीं दिख रहा है. राहुल गांधी के प्रचार के बावजूद कांग्रेस बड़ी मुश्किल से केवल एक सीट पर बढ़त बनाती दिख रही है. एक दौर में सत्‍ताधारी माकपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्‍कर होती थी लेकिन अब ऐसा लगता है कि उस स्‍पेस को बीजेपी ने कैप्‍चर कर लिया है.

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