नई दिल्ली: गलवान के ढाई महीने बाद भारत-चीन तनाव पर एक बड़ी खबर आई है. चीन ने एक बार फिर भारत के साथ विश्वाघात किया है और भारत ने एक बार फिर चीन को उसके दुस्साहस का करारा जवाब दिया है. चीन को एलएसी पर एक बार भारत के पराक्रम का प्रमाण मिला है. बड़ी खबर ये है कि चीन की सेना ने पैंगोंग में अतिक्रमण की कोशिश की. चीन के 500 सैनिक पैंगोंग के थाकुंग इलाके में जमा हो गए. वो टैंकों के साथ आए थे लेकिन भारतीय सेना पहले से मुस्तैद थी. भारतीय सैनिकों के पराक्रम के आगे चीन को घुटने टेकने पड़े. चीन के 500 सैनिक अपने टैंकों के साथ पीछे हटने पर मजबूर हो गए. यहां देखें LIVE TV


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'अतिक्रमणकारी' चीन को भारतीय सेना का करारा जवाब
गलवान में भारत के बलवान सैनिकों के पराक्रम आगे चीनी सैनिकों की साजिश नाकाम हो गई. पूरी दुनिया में चीन की हार देखी फिर भी चीन है कि सुधरने को तैयार नहीं. गलवान में करारी हार के बाद अब चीन ने पैंगोंग झील इलाके में घुसपैठ की कोशिश की लेकिन चीन की हर चाल से भारतीय सैनिक चौकन्ने हैं. इसलिए पैंगोंग में चीन की घुसपैठ की कोशिश नाकाम हो गई. 29-30 अगस्त की रात को चीनी सैनिक जैसे ही विवादित इलाके में पहुंचे. उन्हें भारतीय सैनिकों का कड़ा  विरोध झेलना पड़ा. इस झड़प में अभी तक किसी सैनिक के हताहत होने की कोई खबर नहीं है.  


एक तरफ चालबाज चीन सीमा विवाद को लेकर चुशूल में ब्रिगेड कमांडर लेवल की फ्लैग मीटिंग कर रहा है तो दूसरी ओर  पैंगोंग में घुसपैठ की कोशिश भी कर रहा है लेकिन भारत अब चीन की हर चाल से सावधान है और जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार भी. इससे पहले 15 जून की रात को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प हुई थी जिसमें भारतीय जांबाजों ने दर्जनों हथियारबंद चीनी सैनिकों की गर्दनें तोड़ दी थी. चीन ने फिर भी इस घटना से सबक नहीं लिया और 70 दिन के बाद दोबारा पैंगोंग झील इलाके में घुसपैठ की कोशिश की है. 


चीनी सेना ने पेंगांग झील के पश्चिमी किनारे पर मई के महीने में घुसपैठ की थी और फिंगर 4 तक के इलाके पर कब्जा कर लिया था. पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सामने डटी हुई हैं. यहां से चुशूल का रास्ता जाता है जो भारतीय सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. चुशूल से ही डेमचौक, कोइल, हनले जैसे गांवों का रास्ता निकलता है जहां चीनी सेना अक्सर घुसपैठ की कोशिश करती रहती है. चुशूल में भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्रिप है और सेना का महत्वपूर्ण मुख्यालय है. पूर्वी किनारे का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यहां से तिब्बत जाने के  लिए कई चौड़े रास्ते हैं जहां से टैंक या बख्तरबंद गाड़ियां भी ले जाई सकती हैं.  


खुफिया एजेंसियों का मानना है कि चीन का इरादा पैंगोंग इलाके में पीछे हटने का नहीं है. इसलिए वो बातचीत का दिखावा करके अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करने में लगा है. इसे देखते हुए भारतीय सेना और वायु सेना ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि बातचीत से नहीं, चीन युद्ध से ही सुधरेगा और चीन को गलवान से बड़ा सबक सिखाना जरूरी है. 


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