उद्धव और राज ठाकरे के हाथ मिलाने की अटकलें, शिवसेना ने 'दुर्योधन' किसे कह दिया?
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उद्धव और राज ठाकरे के हाथ मिलाने की अटकलें, शिवसेना ने 'दुर्योधन' किसे कह दिया?

Maharashtra News: महाराष्ट्र को राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा. यहां राजनीति के कई दांव-पेच देखने को मिलते हैं. अब एक बार फिर बड़ा सियासी खेला देखने को मिल सकता है. शिवसेना में फूट के बाद अब ठाकरे ब्रदर्स एक हो सकते हैं. आज शिवसेना ने उद्धव ठाकरे को दुर्योधन ही कह दिया. 

उद्धव और राज ठाकरे के हाथ मिलाने की अटकलें, शिवसेना ने 'दुर्योधन' किसे कह दिया?

Uddhav Thackeray News: महाराष्ट्र की राजनीति में 24 घंटे से ठाकरे खानदान की चर्चा खूब हो रही है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि चचेरे भाई उद्धव और राज ठाकरे फिर से एक हो सकते हैं. इस बीच, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे को ‘आधुनिक दुर्योधन’ कह दिया है. शिंदे सेना ने आरोप लगाया कि उद्धव ने अपने चचेरे भाई राज ठाकरे को बाल ठाकरे की अविभाजित शिवसेना में कभी उभरने नहीं दिया.

शिवसेना प्रवक्ता और ठाणे के सांसद नरेश म्हस्के ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे का मनसे प्रमुख राज ठाकरे के प्रति हालिया झुकाव, शिवसेना (यूबीटी) के घटते मतदाता आधार के मद्देनजर प्रासंगिक बने रहने की उनकी हताशा को दर्शाता है. यह तीखी आलोचना अलग हुए चचेरे भाइयों उद्धव और राज ठाकरे द्वारा दिए गए उन बयानों के बाद आई है, जिसने संभावित सुलह के बारे में अटकलें तेज कर दी हैं. इन बयानों में उन्होंने संकेत दिया कि वे 'तुच्छ मुद्दों' को नजरअंदाज कर सकते हैं और अलग होने के लगभग दो दशक बाद हाथ मिला सकते हैं.

'उद्धव के पास भीड़ जुटाने वाले नेता नहीं'

म्हस्के ने आरोप लगाया, ‘शिवसेना (यूबीटी) के पास भीड़ जुटाने वाले नेता नहीं हैं. इस अहसास ने उन्हें राज ठाकरे की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है. पार्टी लोकसभा और राज्यसभा दोनों में अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है.’

उद्धव ठाकरे को 'आधुनिक दुर्योधन' करार देते हुए म्हस्के ने कहा, ‘उन्होंने अपने भाई राज ठाकरे को पार्टी में कभी आगे नहीं बढ़ने दिया, तब भी नहीं जब बालासाहेब ठाकरे ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देने का प्रस्ताव दिया था. उद्धव ने इसका पुरजोर विरोध किया था.’

'राज ठाकरे नहीं फंसेंगे'

म्हस्के ने कहा कि राज ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के जाल में नहीं फंसेंगे. उन्होंने कहा, 'उन्हें (राज) अविभाजित शिवसेना से बाहर निकाल दिया गया था. अब वे चाहते हैं कि वह डूबते जहाज पर सवार हों- लेकिन राज भोले-भाले नेता नहीं हैं.' उन्होंने वक्फ अधिनियम पर शिवसेना (यूबीटी) के रुख का हवाला देकर उसपर हिंदुत्व को लेकर ‘दोहरे मानदंड’ अपनाने का भी आरोप लगाया.

म्हस्के ने आरोप लगाया, 'उन्होंने वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन नहीं किया. वे राजनीतिक लाभ के लिए कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को शिक्षण माध्यम के रूप में पेश करने का भी विरोध कर रहे हैं. हिंदी कक्षा 5 के बाद पहले से ही पढ़ाई जाती है. वे केवल वोट के लिए माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.’

म्हस्के ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्हें एक ऐसा नेता बताया, जो देश के बाहर बयान देते हैं, लेकिन संसद में महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने में विफल रहते हैं. उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) झूठी कहानियां गढ़ रही है, क्योंकि वे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बढ़ती लोकप्रियता से घबरा गए हैं. (भाषा)

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