शिवसेना (यूबीटी) ने कहा, ‘‘पवार को अपने आसपास के लोगों और उनके इरादों के बारे में अच्छी जानकारी है. पवार ने कहा था कि वह उन (नेताओं) को नहीं रोकेंगे जो NCP छोड़ना चाहते हैं. इसका (इस्तीफे की घोषणा और इसे वापस लेने से पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भर गया) मतलब यह है कि जो दलबदल करना चाहते थे, उन्होंने अपनी योजनाओं को अस्थायी रूप से टाल दिया है.’’
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार अपना उत्तराधिकारी तैयार करने में विफल रहे हैं, ये दावा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने किया है. ठाकरे गुट के मुताबिक शरद पवार की पार्टी में कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो उनकी पार्टी को आगे ले जा सके. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में यह भी दावा किया गया है कि शरद पवार द्वारा पद छोड़ने संबंधी फैसले की घोषणा के बाद NCP के नए अध्यक्ष पर फैसला लेने के लिए जो समिति बनाई गई थी, उसमें कुछ लोग ऐसे भी शामिल थे, जो सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ जाने के इच्छुक थे.
संपादकीय में कहा गया है कि लेकिन NCP कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण इन सदस्यों को मजबूरी में पवार को पद पर बने रहने के लिए कहना पड़ा. ठाकरे के नेतृत्व वाला गुट NCP और कांग्रेस के साथ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के तीन घटक दलों में से एक है.
‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है, ‘‘शरद पवार राजनीति में एक पुराने वट वृक्ष की तरह हैं. उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी और NCP बनाई थी और उसका विस्तार किया. पवार वास्तव में राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और उनकी बातों का सम्मान किया जाता है. हालांकि, वह अपना उत्तराधिकारी तैयार करने में विफल रहे हैं, जो उनकी पार्टी को संभाल सके.’’
शिवसेना (यूबीटी) ने कहा, ‘‘पवार को अपने आसपास के लोगों और उनके इरादों के बारे में अच्छी जानकारी है. पवार ने कहा था कि वह उन (नेताओं) को नहीं रोकेंगे जो NCP छोड़ना चाहते हैं. इसका (इस्तीफे की घोषणा और इसे वापस लेने से पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भर गया) मतलब यह है कि जो दलबदल करना चाहते थे, उन्होंने अपनी योजनाओं को अस्थायी रूप से टाल दिया है.’’
‘सामना’ में दावा किया गया है कि NCP कार्यकर्ताओं द्वारा बनाये गये दबाव के कारण NCP के नए अध्यक्ष पर फैसला करने के लिए गठित समिति को पवार को पद पर बने रहने के लिए कहना पड़ा. शरद पवार ने पिछले शुक्रवार को NCP प्रमुख के पद से इस्तीफा देने के अपने फैसले को वापस लेने का फैसला किया था.
इस संपादकीय को लेकर NCP नेता छगन भुजबल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिन्होंने मराठी और हिंदी भाषाओं में प्रकाशित होने वाले ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक एवं शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत पर निशाना साधा.
भुजबल ने नासिक में कहा, ‘‘उद्धव ठाकरे ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि शरद पवार ने अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती’ में क्या लिखा है. ठाकरे ने कहा था कि वह एमवीए में कोई समस्या पैदा नहीं करना चाहते थे. संजय राउत ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनकी समस्या क्या है? उन्हें क्या लगता है कि NCP एमवीए छोड़ देगी? शरद पवार साहब ने आपकी उम्र जितने सालों तक राजनीति की है.’’
संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर भी निशाना साधा गया है. इसमें कहा गया है, ‘‘पवार के इस्तीफे को भाजपा राजनीतिक तमाशा बता रही है. भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो नहीं चाहती कि अन्य राजनीतिक दलों में कुछ अच्छा हो.’’
संपादकीय में आरोप लगाया कि मौजूदा भाजपा देश में अन्य राजनीतिक दलों को तोड़कर और बर्बाद करके बनाई गई है. ‘सामना’ में कहा गया है कि लोग उन नेताओं के राजनीतिक करियर को समाप्त कर देंगे जो दल बदल कर भाजपा में शामिल होंगे. बिना किसी का नाम लिए संपादकीय में दावा किया गया है कि शिवसेना को धोखा देने वाले नेता ‘कचरे के ढेर में बैठे कुत्ते’ से भी बदतर स्थिति का सामना कर रहे हैं.
(एजेंसी इनपुट)