महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हिंदुत्व की एंट्री हो गई है. अभी सरकार बने हुए सिर्फ तीन दिन हुए है लेकिन शिवसेना ने हिंदुत्व के मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया.
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हिंदुत्व (Hindutva) की एंट्री हो गई है. अभी सरकार बने हुए सिर्फ तीन दिन हुए है लेकिन शिवसेना (Shiv Sena) ने हिंदुत्व के मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है. विधानसभा में रविवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने जो कहा वह महाराष्ट्र के संयूक्त मोर्चा महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) के लिए शुभ संकेत नहीं. जिस कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (Common Minimum Programme) के तहत इस सरकार का गठन हुआ, सरकार बनाने के लिए कांग्रेस-एनसीपी ने शिवसेना से हिंदुत्व के मुद्दे को छोड़ने को कहा था लेकिन सरकार बनते ही शिवसेना ने फिर वही राग अलापना शुरू कर दिया है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि अपनी बात पर कायम रहना ही उनका हिंदुत्व है. वह हिंदुत्व' की विचारधारा के साथ है और इसे कभी नहीं छोड़ेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उद्धव का हिंदुत्व सोनिया-पवार को कबूल है?
महाराष्ट्र में हिंदुत्व बनाम सेक्युलर
उद्धव ठाकरे के बयान पर महाराष्ट्र के नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना का हिंदुत्व अभी सोनिया के चरणों में नतमस्तक है. बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज-कल सामना सोनिया नामा हो गया है और भगवा पर पंजा चिपक गया है. उधर, एनसीपी नेता नवाब मलिक का कहना है कि सेक्युलर का अर्थ ये होता है कि हिंदू-हिंदू रहेगा, मुसलमान-मुसलमान रहेगा.
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उद्धव के सामने क्या है चुनौतियां?
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी पर काबिज तो जरूर हो गए हैं लेकिन उनके सामने कई बड़ी चुनौतिया हैं. पहली चुनौती विभाग बांटने की है. मंत्रिमंडल में किसे क्या ज़िम्मेदारी दी जाए, इसको लेकर मंथन जारी है. दूसरी सबसे बड़ी चुनौती गठबंधन बचाए रखने की है. 'CMP' के आधार पर सरकार चलाने की बात कही जा रही है लेकिन क्या सच में ऐसा हो पाएगा. एक और बड़ी चुनौती यह है कि किस पार्टी के चुनावी वादे पूरे होंगे? मतदाताओं का विश्वास जीतना आसान नहीं होगा. किसानों को कितना बड़ा राहत पैकेज देने के लिए उद्धव ठाकरे अपनी प्रतिबद्धता जताते रहे हैं लेकिन अभी तक कोई बड़ा ऐलान नहीं किया.