Meitei Pangal: दो पाटों के बीच फंसे मेइती पंगल, जानें- कौन हैं ये लोग
Meitei Pangal Population: मणिपुर का थाउबल जिला मेइती पंगल बहुल है, क्वाक्टा में जहां तीन मेइती पंगल मारे गए थे वहां मुसलमानों की आबादी 91 फीसद है, हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यक हैं.
Meitei Pnagal History: मणिपुर में मेइती और कूकी समाज के बीच टकराव की बात नई नहीं है. इस दफा विवाद उस समय पैदा हुआ जब हाईकोर्ट ने मेइती समाज को एसटी स्टेट्स देने का फैसला दिया. फैसले के बाद मणिपुर हिंसा की आग में झुलस गया. हिंसा की खबरें आती रहती हैं. इस विषय पर संसद में विपक्ष ने अविश्नास प्रस्ताव भी लाया था. इन सबके बीच मेइती में पंगल समाज की चर्चा होने लगी कि आखिर ये लोग कैसे हिंसा की चपेट में आ गए. मेइती और कूकी में टकराव से इनका सीधा नाता नहीं है लेकिन इन लोगों पर भी इसका असर हो रहा है. हाल ही में विष्णुपुर जिले के क्वकटा कस्बे में तीन मेइती पंगल मारे गए थे, पंगल कौन हैं यह जानना भी दिलचस्प है.
हिंदू मेइती बहुसंख्यक
मणिपुर में मेइती समाज बहुसंख्यक हैं जो राज्य की आबादी में करीब 53 फीसद हैं. इनमें से 80 फीसद हिंदू और 10 फीसद मुस्लिम हैं. मणिपुर में मुसलमानों की एंट्री 17वीं शताब्दी में हुई थी हालांकि कुछ इतिहासकार बताते हैं कि 1600 से पहले भी कुछ मुसलमान थे. मणिपुर में पहली बार बड़े पैमाने पर मुस्लिमों का दाखिला तब हुआ था जब इन्हें कांगलेइपाक नाम से जाना जाता था. 1597 से 1652 के बीच असम के सिलहट से जब मुस्लिमों ने मणिपुर हमला किया तो उन्हें राजा खागेंबा ने पराजित किया था लेकिन राजा खागेंबा ने मुस्लिमों को बसने की इजाजत दी थी. धीरे धीरे मुस्लिम समाज स्थानीय लोगों से घुलमिल गया और मेइती परिवारों में शादी भी होने लगी. मेइती भाषा ही इनकी मातृभाषा बन गई.
मेइती पंगल और राजा खागेंबा
राजा खागेंबा के समय से बंगाल और दूसरे इलाकों से मुस्लिमों का आना जारी रहा और यह सिलसिता 19वीं सदी के मध्य तक चला. यही नहीं मणिपुर राज्य ने प्रशासन और सेना में इन्हें जिम्मेदारी भी दी, बर्मा से आने वाले आक्रमणकारियों के खिलाफ इन्होंने अपने शौर्य का परिचय भी दिया. मुस्लिम प्रवासी जो मणिपुर में जाकर बस गए थे उन्हें मेइती पंगल के नाम से जाना गया. हालांकि कुछ इतिहासकार इस थ्योरी को गलत बताते हैं. उनके मुताबिक मुगल को स्थानीय भाषा में मंगल कहा जाता था जबकि कुछ लोग इसे बंगाल से जोड़ते हैं.
1993 में हुआ था भीषण दंगा
1993 में मेइती हिंदुओं पर मेइती मुस्लिमों के बीच दंगा हुआ. दंगे को लेकर भी अलग अलग तरह की खबरें आईं लेकिन मेइती विद्रोहियों के एक्शन को जिम्मेदार बताया गया. 1993 में थाउबल जिले में मुस्लिम आबादी और रिहाइश पर हमले हुए थे. उस समय सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 100 मारे गए थे हालांकि गैर सरकारी आंकड़ा 140 का था.2011 की जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि मणिपुर की आबादी में हिंदू और ईसाई का अनुपात क्रमशः 41.4% और 41.3% है। मैतेई पंगलों सहित मुसलमानों की आबादी 8.4% है. बड़ी मुस्लिम आबादी वाले चार जिले हैं - थौबल, इम्फाल पूर्व, इम्फाल पश्चिम और बिष्णुपुर. हालांकि इन सभी चार जिलों में हिंदू बहुमत में हैं.