समान नागरिक संहिता सरकार का राजनीतिक एजेंडा : विपक्ष
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समान नागरिक संहिता सरकार का राजनीतिक एजेंडा : विपक्ष

विवादास्पद समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग की प्रश्नावली का जवाब देने वाले अधिकतर विपक्षी दलों ने मामले को आयोग को भेजने के कदम को भाजपा सरकार के ‘राजनीतिक एजेंडा’ का हिस्सा बताया और कुछ दलों ने तो उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले इसके समय पर भी सवाल उठाया है।

समान नागरिक संहिता सरकार का राजनीतिक एजेंडा : विपक्ष

नई दिल्ली : विवादास्पद समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग की प्रश्नावली का जवाब देने वाले अधिकतर विपक्षी दलों ने मामले को आयोग को भेजने के कदम को भाजपा सरकार के ‘राजनीतिक एजेंडा’ का हिस्सा बताया और कुछ दलों ने तो उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले इसके समय पर भी सवाल उठाया है।

सूत्रों ने कहा कि समझा जाता है कि प्रश्नावली का जवाब देते हुए कांग्रेस, बसपा और तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि वे समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं या नहीं। हालांकि उन्होंने मामले को विधि आयोग को भेजने के सरकार के फैसले को उसके राजनीतिक हितों को बढ़ाने के राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा बताया।

कुछ दलों ने अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले आयोग को मामला भेजने के फैसले के समय पर भी सवाल उठाया है। विधि आयोग को संभवत: सबसे पहले जवाब भेजने वाली बसपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जनता पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडा को थोपने का आरोप लगाया है।

प्रश्नावली का जवाब देने के विधि आयोग के अनुरोध पर बसपा ने कहा कि पार्टी 25 अक्तूबर को लखनऊ में मायावती द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को संलग्न कर रही है। विधि आयोग द्वारा रखे गये 16 प्रश्नों का जवाब देने के बजाय बसपा ने कहा कि यह प्रेस वक्तव्य प्रश्नावली का उत्तर है। बसपा के वक्तव्य में कहा गया था कि भाजपा केंद्र की सत्ता में आने के बाद से जनता पर संघ के एजेंडे को थोपने का प्रयास कर रही है।

समझा जाता है कि असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने समान नागरिक संहिता का विरोध किया है और अपने रूख के समर्थन में कुछ अदालती आदेशों का जिक्र किया है। माना जा रहा है कि राकांपा ने ‘एक साथ तीन तलाक’ की प्रथा का विरोध किया है लेकिन कुल मिलाकर अलग-अलग पर्सनल कानूनों का समर्थन भी किया है।

आयोग के उच्च-पदस्थ सूत्रों ने कहा कि प्रश्नावली पर अब तक 40,000 जवाब मिले हैं जो समय सीमा खत्म होने के बाद भी आ रहे हैं। जवाब भेजने की समय सीमा 21 दिसंबर को समाप्त हो गयी थी लेकिन विधि आयोग का कहना है कि वह समय सीमा के बाद मिले जवाबों पर विचार करता रहेगा।

आयोग ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘समान नागरिक संहिता विधि आयोग के सामने मौजूद एक महत्वपूर्ण परियोजना है। आयोग द्वारा मिलने वाले जवाबों पर विचार चल रहा है। समय सीमा के बाद अगर कोई उत्तर मिलता है तो उन पर भी विचार किया जा सकता है।’ विधि आयोग ने इन संवेदनशील मुद्दों पर 7 अक्तूबर को जनता की राय मांगी थी।

ऑल इंडियन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने प्रश्नावली की आलोचना करते हुए कहा कि यह अनुचित है। समान नागरिक संहिता पर बढ़ती बहस के बीच विधि आयोग ने परिवारों से संबंधित कानूनों में संशोधन के विषय पर जनता की राय मांगी थी और कहा था कि इसका उद्देश्य सामाजिक अन्याय पर ध्यान देना है और यह कानूनों की बहुलता के खिलाफ नहीं है।

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