नई दिल्‍ली: शादी के लिए पुरुषों व महिलाओं की न्यूनतम उम्र एक समान करने संबंधी राजस्थान व दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने की मांग पर मंगलवार को केंद्र से जवाब तलब किया गया. 


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यह याचिकाएं इसलिए दायर की गई हैं कि ‘मुकदमेबाजी और परस्पर विरोधी विचारों’ से बचा जा सके. 


दो याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित


प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने वरिष्ठ वकील गीता लुथरा के प्रतिवेदन पर संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था कि इसी तरह की दो याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं और उन्हें इस मुद्दे पर एक आधिकारिक आदेश के लिए शीर्ष अदालत (Supreme Court) में स्थानांतरित किया जा सकता है. 


गीता लूथरा यहां वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश हुईं. उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा कि इस पर नोटिस जारी करें. न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम भी पीठ का हिस्सा थे. 



लड़की की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 साल करने की मांग 


भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में लड़के और लड़की की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 साल (Uniform Marriage Age For Men & Women) करने की मांग की गई है.  


इससे पहले भी हाई कोर्ट ने शादी के लिए पुरुष और महिला की उम्र समान करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. फिलहाल पुरुषों के लिए शादी की उम्र 21 साल और महिलाओं के लिए 18 साल है.  


जनहित याचिका में कहा गया है कि देश में शादी के लिए विभिन्न आयु का निर्धारण किया गया है.  यह व्यवस्था संविधान में दिए गए समानता के अधिकार और महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है, इसलिए इस व्यवस्था को समाप्त कर विवाह की आयु समान की जाए.