सबरीमाला : 'मंदिर है कोई जिम खाना, क्लब तो है नहीं की साड़ी पहनकर नहीं आ सकते'- मेनका गांधी
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सबरीमाला : 'मंदिर है कोई जिम खाना, क्लब तो है नहीं की साड़ी पहनकर नहीं आ सकते'- मेनका गांधी

मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलने के बाद महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान साफ तौर पर देखी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले पर राजनेताओं की प्रक्रिया आनी भी शुरू हो गई है. 

मेनका गांधी ने कहा कि किसी भी मंदिर में महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं हो सकता है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट केरल के प्रख्यात सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति मिलने के बाद देश में खुशियों की लहर है. मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलने के बाद महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान साफ तौर पर देखी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले पर राजनेताओं की प्रक्रिया आनी भी शुरू हो गई है. 

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है, भगवान के घर में जाने के लिए किसी कॉन्सेप्ट की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि ये बहुत पहले हो जाना चाहिए था, कोई भी मंदिर एक जात, एक वर्ग, एक लिंग के लिए नहीं होता है और वैसे भी हिंदू धर्म में महिला देवी पूजी जाती है. उन्होंने कहा, 'मंदिर है कोई जिम खाना, क्लब तो है नहीं की साडी पहनकर नहीं आ सकते.'

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भगवान अयप्‍पा हिंदू थे, उनके भक्‍तों का अलग धर्म न बनाएं. भगवान से रिश्‍ते दैहिक नियमों से नहीं तय हो सकते. सभी भक्‍तों को मंदिर में जाने और पूजा करने का अधिकार है. 

न्‍यायालय ने कहा, जब पुरुष मंदिर में जा सकते हैं तो औरतें भी पूजा करने जा सकती हैं. महिलाओं को मंदिर में पूजा करने से रोकना महिलाओं की गरिमा का अपमान है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एक तरफ हम औरतों की पूजा करते हैं तो दूसरी तरफ हम उन पर बैन लगाते हैं. महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं. सबरीमाला के रिवाज हिंदू महिलाओं के खिलाफ हैं. दैहिक नियमों पर महिलाओं को रोकना एक तरह से छूआछूत है.

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