भारत में 40,000 से ज्यादा शरणार्थी हैं. उन्होंने राजनीतिक सुलह पर जोर दिया ताकि रोहिंग्या अपने देश वापस लौट सकें.
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नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को कहा कि रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा में शामिल लोगों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए और भारत बांग्लादेश का समर्थन कर इस संकट में मदद कर सकता है. इसके साथ ही उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह सुलह के लिए म्यांमार के साथ अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी आबादी को इस प्र्रकार की "भेदभावपूर्ण स्थिति" में रखना उनकी स्थिति से फायदा उठाने के लिए "आतंकवादी समूहों को निमंत्रण" देना है.
गुतारेस ने कहा कि भारत भविष्य में बहु-ध्रुवीय दुनिया का "एक आवश्यक घटक" है तथा वह दुनिया में चल रहे कुछ संघर्षों में "ईमानदार मध्यस्थ" की भूमिका भी निभा सकता है. भारत द्वारा 1996 में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद संबंधी व्यापक संधि (सीसीआईटी) को अपनाए जाने के संबंध में एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि विलंब का कारण देशों द्वारा आतंकवाद की परिभाषा पर सहमत नहीं होना है.
Had a wonderful meeting with Secretary-General of the @UN, Mr. @antonioguterres. We discussed a wide range of issues pertaining to global peace and prosperity.
We are extremely grateful to him for coming to India for the Mahatma Gandhi International Sanitation Convention. pic.twitter.com/gPKmsoFKxG
— Narendra Modi (@narendramodi) 2 October 2018
म्यांमार में सुरक्षा बलों के हमलों के बाद अल्पसंख्यक रोहिंग्या देश से भाग गए. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सात लाख से अधिक लोग म्यांमार से भाग गए और उनमें से अधिकतर बांग्लादेश में रह रहे हैं. भारत में 40,000 से ज्यादा शरणार्थी हैं. इस मुद्दे पर एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, "मैंने दुनिया में कभी भी किसी एक समुदाय के साथ इतना भेदभाव नहीं देखा, जितना रोहिंग्या के साथ हुआ है."
वह यहां ‘‘वैश्विक चुनौतयां, वैश्विक समाधान’’ विषय पर एक व्याख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा कि रोहिंग्या लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं नहीं हैं. गुतारेस ने शरणार्थियों के उच्चायुक्त के रूप में अपनी यात्रा का जिक्र किया और कहा कि म्यांमार के राष्ट्रपति ने उनसे रोहिंग्या लोगों को अन्य देशों में पुनर्वासित करने को कहा था.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, ‘‘ मेरा काम उन्हें शरणार्थी बनाने का नहीं है. मेरी भूमिका शरणार्थियों की समस्या को हल करना है. इससे पता चलता है कि रोहिंग्याओं की नकारात्मक भावना कितनी गहरी है. सोशल मीडिया पर कुछ भिक्षुओं द्वारा घृणित भाषण से यह तीव्र हो गया....’’उन्होंने राजनीतिक सुलह पर जोर दिया ताकि रोहिंग्या अपने देश वापस लौट सकें.
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत क्या कर सकता है? इन लोगों की मदद करने के लिए बांग्लादेश का समर्थन करे क्योंकि यह एक बड़ी मानवीय समस्या है. दूसरा, म्यांमार में सेना पर सुलह के लिए दबाव डाले....’’ गुतारेस ने कहा कि उन अपराधों के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए. सीसीआईटी से जुड़े एक सवाल पर गुतारेस ने कहा कि आतंकवाद की परिभाषा पर कोई सहमति नहीं है और इसमें कई जटिलताएं हैं. उन्होंने कहा, "आतंकवाद की परिभाषा की समस्या कई जटिलताओं के कारण है. ऐसी कई चीजें हैं जो आतंकवाद की एक आम परिभाषा के लिए जटिल हैं.’’
गुतारेस ने कहा कि भारत सीसीआईटी का समर्थन करने में सबसे आगे रहा है और संयुक्त राष्ट्र इस संबंध में पूरी तरह से भारत का समर्थन करता है.
कश्मीर में कथित मानवाधिकारों के हनन पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त की एक रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन रिपोर्टों को महासचिव ने अनुमोदित नहीं किया है. भारत ने उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानवाधिकार आयुक्त के बारे में रिपोर्टों पर चर्चा नहीं करता. उनके पास स्वतंत्रता है. देश उन रिपोर्टों से सहमत या असहमत हो सकते हैं. उनकी रिपोर्टों को महासचिव द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है.
(इनपुट-भाषा)