मायावती तो कहीं दिख नहीं रहीं, किस तरफ शिफ्ट होगा BSP का वोट?
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मायावती तो कहीं दिख नहीं रहीं, किस तरफ शिफ्ट होगा BSP का वोट?

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव (UP Assembly Election) से पहले बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ग्राउंड लेवल पर नजर नहीं आ रही हैं और इस बीच सबसे बड़ा सवाल सामने आ रहा है कि दलित वोट (Dalit Vote) किस तरफ शिफ्ट होगा?

मायावती (फाइल फोटो)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव (UP Assembly Election) को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों की तैयारियां जोर पर है, लेकिन इस बीच बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ग्राउंड लेवल पर नजर नहीं आ रही हैं. इस बीच सबसे बड़ा सवाल सामने आ रहा है कि इस बार बसपा (BSP) का वोट किस तरफ शिफ्ट होगा?

  1. यूपी में कुल 21 प्रतिशत हैं दलित वोटर्स
  2. मायावती के दबदबे को बीजेपी लगातार दे रही चुनौती
  3. सपा ने भी सोशल इंजीनियरिंग का ख्याल रखा है

यूपी में कुल 21 प्रतिशत हैं दलित वोटर्स

उत्तर प्रदेश में अब तक बसपा (BSP) के कोर वोटर्स दलित रहे हैं और पॉलिटिकल ऑब्जर्वर्स का कहना है कि मायावती के ग्राउंड लेवल से गायब होने के बाद दलित वोटर्स को लुभाने के लिए अन्य पार्टियां जुट गई हैं. बता दें कि यूपी के मतदाताओं में दलितों की संख्या कुल 21 प्रतिशत के करीब है.

बीजेपी या सपा, किस तरफ जाएगा दलित वोट?

भाजपा के कुछ ओबीसी नेताओं के सपा में जाने से गैर-यादव पिछड़ी जाति के मतदाताओं के समाजवादी पार्टी (SP) में जाने के आसार दिख रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) केंद्र और राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के जरिए पिछड़ी जातियों को अपनी तरफ करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.

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मायावती के दबदबे को बीजेपी लगातार दे रही चुनौती

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषकों का कहना है कि मायावती जाटव वोट बैंक पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जो कुल दलित आबादी का लगभग 55% हिस्सा है. विशेषज्ञों ने कहा कि दलित पहले कांग्रेस के समर्थक थे, जब 1990 के दशक में बसपा एक राजनीतिक ताकत के रूप में नहीं उभरी थी.

2007 में जब मायावती पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आईं, तो पार्टी ने एक बदलाव किया और सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को लागू किया. उन्होंने एक बार फिर अपने आजमाए और परखे हुए फॉर्मूले का सहारा लिया है. हालांकि, दलितों पर मायावती के दबदबे को भाजपा ने लगातार चुनौती दी है और कई कल्याणकारी योजनाओं के जरिए जातिगत रेखाओं को काटने की कोशिश कर रही है.

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यूपी में बीजेपी का चुनावी गणित

यूपी विधान सभा चुनाव (UP Assembly Election) के लिए बीजेपी ने पहले और दूसरे चरण के लिए 107 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने 63 विधायकों को फिर से मौका दिया गया है, जबकि 20 विधायकों का टिकट काटा है. वहीं 21 नए चेहरों को शामिल किया है. बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं. बीजेपी ने 68 प्रतिशत सीटें ओबीसी, एससी और महिलाओं को दी हैं. बीजेपी ने ओबीसी को 44, एससी को 19 और महिलाओं को 10 को टिकट दिए हैं.

सपा-आरएलडी की सोशल इंजीनियरिंग

इसके साथ ही सपा और आरएलडी ने भी सोशल इंजीनियरिंग पर ध्यान दिया है. सपा-आरएलडी की लिस्ट में जाटों और मुस्लिमों का खास ख्याल रखा गया है. सपा ने अब तक 31 प्रतिशत मुस्लिमों को टिकट दिया है, जबकि उम्मीदवारों में जाट 10 और गुर्जर 7 प्रतिशत है. इसके अलावा सपा ने 24 प्रतिशत सीटों पर दलितों को उतारा है.

बीएसपी ने भी रखा जाति का ध्यान

मायावती की पार्टी बसपा (BSP) ने पहले चरण की 58 में से 53 सीटों पर उम्मीदवारों के टिकट फाइनल कर दिए हैं. बीएसपी ने 14 मुस्लिम और 9 अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने 40 फीसदी महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है.

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