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नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में बुधवार को चौथे चरण मतदान संपन्न हो गया है. आइये आपको चौथे चरण के मतदान का विश्लेषण बताते हैं. अब तक हुए चार चरणों में उत्तर प्रदेश की 57 प्रतिशत सीटों पर चुनाव हो चुका है. यानी वोटिंग हो चुकी है. इसलिए इस बात का भी विश्लेषण करेंगे कि अब तक हुए चार चरणों में किसका पलड़ा भारी रहा है? चौथे चरण में उत्तर प्रदेश के 9 जिलों की 59 सीटों पर लगभग 59 प्रतिशत वोटिंग हुई. ये आंकड़े शाम 5 बजे तक के हैं. और वोटिंग 6 बजे तक हुई है. इसलिए इनमें कुछ बदलाव हो सकता है. पिछली बार इन्हीं सीटों पर लगभग 62 (61.92) प्रतिशत वोटिंग हुई थी.
जिन 9 ज़िलों में वोटिंग हुई, उनमें पीलीभीत और बांदा जिले को छोड़कर बाकी जिले अवध क्षेत्र में आते हैं और ये कुल सात जिले हैं. इनमें लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और फतेहपुर शामिल हैं. पिछली बार बीजेपी ने इन 9 जिलों की 59 सीटों पर एक तरह से Clean Sweep किया था. यानी उसे एकतरफा जीत मिली थी. तब 59 में से बीजेपी को 51, समाजवादी पार्टी को चार और कांग्रेस और बीएसपी को दो-दो सीटों पर जीत मिली थी.
हमारा अनुमान है कि बीजेपी इस क्षेत्र में 2017 के अपने शानदार प्रदर्शन को फिर दोहरा सकती है. यानी पहले और दूसरे चरण में समाजवादी पार्टी ने अच्छी बैटिंग की और बीजेपी को बांध कर रखा. लेकिन अब उसकी सांसें फूलने लगी हैं और उसके लिए बाकी के चरणों में रन बनाना बहुत मुश्किल हो गया है. इसके पीछे एक वजह ये है कि बीजेपी ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है. हमने आपको बताया था कि, पहले और दूसरे चरण में कैसे अखिलेश यादव ने केवल मुस्लिम प्लस यादव वोट बैंक के फॉर्मुले पर निर्भर ना रह कर अपनी राजनीति की लैब में एक नया फॉर्मुला तैयार किया था, जिसमें वो अलग अलग जातियों को संगठित करके एक नया वोट बैंक बनाना चाहते थे. ये फॉर्मुला था, M प्लस Y प्लस J + S/M + K + G.. यानी मुस्लिम.. प्लस.. यादव.. प्लस.. जाट.. प्लस.. सैनी/मौर्य.. प्लस.. कुर्मी.. प्लस.. गुर्जर..
लेकिन हमारा आंकलन है कि तीसरे और चौथे चरण में ये फॉर्मुला अखिलेश यादव का ज्यादा नहीं चला. क्योंकि बीजेपी ने इसके जवाब में.. एक नया फॉर्मुला बनाया है और ये फॉर्मुला है, T प्लस B प्लस B प्लस L प्लस K प्लस S यानी ठाकुर प्लस ब्राह्मण प्लस बनिया प्लस लोधी प्लस कुर्मी प्लस शाक्य. चौथे चरण में बीजेपी के 17 उम्मीदवार OBC समुदाय, 16 दलित, 9 ब्राह्मण, 9 ठाकुर , 6 बनिया और कायस्थ समाज और एक सिख धर्म से था. इसके अलावा एक प्रत्याशी खत्री समाज से भी था. यानी इस चरण में बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग ने अखिलेश यादव के समीकरणों को उलझा दिया है.
अगर चौथे चरण के वोटिंग पैटर्न की बात करें, तो इसे आप पांच Points में समझ सकते हैं. पहला Point- ग्राउंड ज़ीरो के दौरान हमारी टीम ने जो देखा, उसके आधार पर हमारा आंकलन है कि इस चरण में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है. और बीजेपी को हिन्दुओं और खास तौर पर पिछड़ी जातियों के वोट संगठित रूप से मिले हैं. यानी कई गांवों ने एक साथ बीजेपी के पक्ष में वोटिंग की है. जबकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को इन सीटों पर ज्यादा फायदा नहीं मिला. और ये बात उनकी चिंता बढ़ा सकती है. अखिलेश यादव इस बात को जानते थे और इसीलिए उन्होंने इस चरण में मुस्लिम और यादव समुदाय के उम्मीदवारों को कम टिकट दिए था. लेकिन इस बार उनकी ये सोशल इंजीनियरिंग ज्यादा प्रभावी नहीं रही.
दूसरा Point- ये है कि पहले और दूसरे चरण के बाद अब बीजेपी को बाकी के चरणों में ज्यादा नुकसान नहीं हो रहा. और बीजेपी लखनऊ, बनारस, इलाहाबाद और गोरखपुर जैसे जिलों में पिछला प्रदर्शन दोहरा सकती है. यानी इन जिलों में बीजपी को नुकसान न के बराबर हो सकता है. तीसरा Point- चौथे चरण में समाजवादी पार्टी के मुस्लिम Plus यादव फैक्टर पर बीजपी का मोदी Plus योगी फ़ैक्टर भारी पड़ा है. चौथा Point- चौथे चरण के मतदान में कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में भी वोटिंग हुई, जहां कुल पांच सीटें हैं.
पिछली बार कांग्रेस ने पूरे यूपी में जो सात सीटें जीती थीं, उनमें दो सीटें उसे इसी ज़िले से मिली थीं. लेकिन हमारा अनुमान है कि इस बार कांग्रेस रायबरेली में अपनी इन दो सीटों को भी नहीं बच पाएगी. क्योंकि यहां मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही दिखाई दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं, लेकिन इस बार उन्होंने इस क्षेत्र में एक भी रैली नहीं की. और प्रियंका गांधी वाड्रा भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाईं. और पांचवां और आख़िरी Point ये है कि चौथे चरण में अवध के सात ज़िलों में वोटिंग हुई है, वहां राम मन्दिर का मुद्दा अहम रहा है.
एक बात और.. चौथे चरण में कुछ सीटों पर प्रत्याशियों के नाम पर वोट नहीं पड़े. बल्कि वोट योगी और अखिलेश के नाम पर पड़े हैं. और ऐसा हमारा Assessment है कि चौथे चरण की कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर हो सकती है. और यहां हार-जीत का अंतर 500 से एक हज़ार वोटों के बीच हो सकता है. इसके अलावा उन्नाव और लखीमपुर खीरी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सुपरओवर की स्थिति बन सकती है.
अगर उत्तर प्रदेश में अब तक हुई वोटिंग की बात करें तो अब तक 45 ज़िलों की 231 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. यानी 57 प्रतिशत सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. सरकार बनाने के लिए 403 में से जो 202 सीटें चाहिए, उससे भी ज्यादा सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. अब आगे के जो चरण बचे हैं, वो बॉक्सिंग राउंड की तरह होंगे. जिनमें 30 ज़िलों की 172 सीटों पर वोटिंग होगी. इनमें आठ ज़िले अवध के हैं और 22 ज़िले पूर्वांचल के हैं. अगर अब तक हुए चार चरणों की वोटिंग का सार आपको बताएं तो वो ये है कि अब बीजेपी के सामने ज्यादा चुनौती नहीं है. और इन चरणों में वोट, जाति और धर्म से ज्यादा मोदी और योगी के नाम पर पड़ सकते हैं. इसके अलावा आने वाले 3 चरणों में बीजेपी और समाजवादी पाटी के गठबंधन के सहयोगी दलों की अग्निपरीक्षा होगी. क्योंकि चुनाव धीरे-धीरे पूर्वांचल की तरफ़ प्रस्थान कर रहा है.
उत्तर प्रदेश में अब जो तीन चरण के मतदान बचे हैं, उनमें पूर्वांचल बहुत महत्वपूर्ण है. और इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी आता है. इसलिए प्रधानमंत्री मोदी अब लगातार रैलियां कर रहे हैं और बुधवार को उन्होंने बाराबंकी की अपनी रैली में परिवारवाद के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी पर बड़ा हमला किया.