यूपी चुनाव: अवध का बाजीगर कौन? ओबीसी और ब्राह्मण वोटों के बेल्ट में वोटिंग
UP चुनाव का चौथा चरण अवध क्षेत्र को कवर करेगा. जिसमें मुख्य लड़ाई तो बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच है, लेकिन यह चरण कांग्रेस और बीएसपी का भी भविष्य तय करने वाला है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में तीन चरण की 172 सीटों पर अब तक मतदान हो चुका है. लेकिन UP में अब भी 231 सीटों पर मतदान होना बाकी है, जिसमें से 59 सीटों पर 23 फरवरी को मतदान होगा. चुनाव का यह चरण अवध क्षेत्र को कवर करेगा. जिसमें मुख्य लड़ाई तो बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच है, लेकिन यह चरण कांग्रेस और बीएसपी का भी भविष्य तय करने वाला है.
अवध क्षेत्र पर नजर
UP के 9 जिलों में 23 फरवरी को चौथे चरण का मतदान होगा. जिन 59 सीटों पर चुनाव होना है, उसमें पीलीभीत और बांदा को छोड़कर बाकी जिले अवध क्षेत्र का हिस्सा हैं. रुहेलखंड क्षेत्र के पीलीभीत की 4 सीटें और बुंदेलखंड के बांदा की 4 सीटों पर भी मतदान होना है. अवध के 7 जिलों में वोटिंग होगी, जिसमें लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और फतेहपुर शामिल हैं.
लखनऊ में कई बड़े सियासी चेहरे
चौथे चरण में सभी की निगाहें लखनऊ, रायबरेली और लखीमपुर खीरी पर टिकी हुई हैं. लखनऊ में कई बड़े सियासी चेहरे चुनावी मैदान में हैं. लखनऊ की सरोजिनीनगर सीट से बीजेपी ने राजेश्वर सिंह को टिकट दिया तो सपा ने प्रोफेसर अभिषेक मिश्र को प्रत्याशी बनाया. सरोजिनीनगर को लखनऊ की सबसे हॉट सीट माना जा रहा है. दरअसल ED के पूर्व अधिकारी नौकरी छोड़ सियासी मैदान में बल्लेबाजी कर रहे हैं. वहीं लखनऊ कैंट से बीजेपी के बृजेश पाठक चुनाव लड़ रहे हैं, उनके सामने सपा के राजू गांधी प्रत्याशी हैं. लखनऊ में कुल 9 विधान सभा सीटें हैं. 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 9 में से 8 सीटें जीती थी जबकि लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर सपा की जीत हुई थी.
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लखीमपुर खीरी पर टिकीं सबकी निगाहें
किसान आंदोलन के समय सुर्खियों में आए लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Khiri Election) पर भी लोगों की नजर है. लखीमपुर खीरी में कुछ सीटों पर सिख मतदाता भी हैं, जो कि निर्णायक हैं. 2017 के चुनाव में लखीमपुर खीरी की सभी 8 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार बीजेपी और सपा के बीच कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर बताई जा रही है.
कांग्रेस के पास गढ़ बचाने का मौका
रायबरेली से सोनिया गांधी कांग्रेस की सांसद हैं. यूपी में रायबरेली ही कांग्रेस का इकलौता गढ़ बचा है. 2017 के चुनाव में कांग्रेस रायबरेली में 2 सीटें जीती थी, वो भी तब जब समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन था. लेकिन 2022 के चुनाव से पहले कांग्रेस के दोनों सिटिंग विधायक बीजेपी में जा चुके हैं. वहीं सपा ऊंचाहार सीट पर चुनाव जीती थी, जबकि बीजेपी ने रायबरेली की 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार कांग्रेस के सामने अपने गढ़ में इज्जत बचाने का चुनाव नजर आ रहा है, क्योंकि सियासी जानकार बता रहे हैं कि रायबरेली में भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच ही है.
जातिगत समीकरणों को साधेगा तीसरा चरण
23 फरवरी को जिन 59 सीटों पर विधान सभा का चुनाव होना है, इन सभी सीटों पर ओबीसी और ब्राह्मण वोट सबसे ज़्यादा निर्णायक होंगे. OBC में कुर्मी, निषाद, यादव और लोधी वोट सबसे महत्वपूर्ण है. अवध के कुछ जिलों में ब्राह्मण हार जीत तय करने की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं.
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सोशल इंजीनियरिंग का बोलबाला
यूपी चुनाव में इस बार सोशल इंजीनियरिंग का बोलबाला है. बीजेपी और सपा दोनों ने हर सीट पर जातीय और सियासी समीकरण का विशेष ख्याल रखा है. बीजेपी गैर यादव ओबीसी और सवर्ण वोट को साथ रखना चाहती है. बीजेपी ने कुर्मी और ब्राह्मण टिकटों पर ज्यादा दांव लगाया है तो समाजवादी पार्टी यादव-मुस्लिम के साथ कुर्मी, निषाद, मौर्य और ब्राह्मण वोट बैंक का कुछ हिस्सा अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम कर रही है. इसलिए सपा ने चौथे चरण में भी यादव-मुस्लिम टिकट कम कर गैर यादव ओबीसी टिकट ज्यादा दिए हैं.
59 में से 57 सीटों पर चुनाव लड़ रही भाजपा
चौथे चरण में बीजेपी 57 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं 2 सीटों पर अपना दल (एस) के प्रत्याशी हैं. बीजेपी गठबंधन ने चौथे चरण की 59 सीटों में से 17 OBC, 16 दलित, 9 ब्राह्मण, 9 ठाकुर, 6 बनिया/कायस्थ, 1 सिख और 1 खत्री पंजाबी नेताओं को टिकट दिया है. ओबीसी की 17 टिकटों में सबसे ज्यादा 9 कुर्मी समाज के नेताओं को टिकट दिया है.
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सपा का गैर यादव प्रयोग
वहीं चौथे चरण में समाजवादी पार्टी भी 57 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है, 2 सीटों पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी हैं. सपा गठबंधन ने चौथे चरण की 59 सीटों में से 23 OBC, 16 दलित, 5 मुस्लिम, 4 ब्राह्मण, 5 ठाकुर, 4 बनिया/कायस्थ, 1 सिख और 1 पंजाबी नेताओं को चिकट दिया है. ओबीसी की 23 टिकटों में से सबसे ज्यादा 9 कुर्मी टिकट सपा ने दिए हैं. जबकि मात्र 5 सीटों पर ही यादव प्रत्याशी उतारे हैं. बाकी सीटों पर ओबीसी की लोधी, निषाद और मौर्य समाज से टिकट दिया है.
2017 के आंकड़े भी महत्वपूर्ण
अगर 2017 के आंकड़े देखे जाएं तो इन 59 सीटों में से बीजेपी गठबंधन ने 51 सीटें जीती थी. जबकि सपा 4, कांग्रेस 2 और बीएसपी 2 सीटें ही जीत पाई थी. बीजेपी ने पीलीभीत, बांदा, लखीमपुर खीरी और फतेहपुर ज़िले में सभी सीटें जीती थी. सपा सिर्फ रायबरेली, सीतापुर, हरदोई और लखनऊ में 1-1 सीट ही जीतने में सफल हुई थी. वहीं कांग्रेस मात्र रायबरेली में ही 2 सीटें जीती थी और बीएसपी का खाता सिर्फ उन्नाव और सीतापुर में ही खुल पाया था.
बुधवार को अग्निपरीक्षा
सियासी दलों का लखनऊ की सत्ता तक पहुंचने का आधा रास्ता चौथे चरण के चुनाव तक पूरा हो जाएगा. चौथे चरण में राजनीतिक दलों के सोशल इंजीनियरिंग की भी अग्निपरीक्षा होगी और बड़े ग्लैमर वाले चेहरों की भी प्रतिष्ठा दांव पर है. अब देखना बेहद दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी पुराना प्रदर्शन दोहरा पाएगी या फिर सपा अपने पिछले प्रदर्शन में सुधार ला पाएगी.
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