UP: इस सीट पर चलता रहा है `डकैतों की बंदूक` का सिक्का, आतंक से कांपता था इलाका
कई बार सत्ता हासिल करके भी किसी चीज को हासिल कर पाने की कसक रह जाती है. ऐसा यूपी में सपा के साथ हुआ. सूबे में 4 बार सरकार बनाने के बाद भी एक सीट ऐसी रही, जिस पर सपा कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई.
नई दिल्ली: कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में राजनीति की खेती होती है. यहां नेता उगते हैं और बहुत दूर तक राजनीति करते हैं. इसलिए उत्तर प्रदेश के चुनाव हों या यहां के राजनीति किस्से, हर छोटी-बड़ी बात पर सभी की नजर रहती है. यूपी के पॉलिटिकल किस्सों की श्रृंखला में आज हम सूबे की एक ऐसी सीट बात कर रहे हैं, जिस पर समाजवादी पार्टी लाख कोशिशें करके भी कभी जीत नहीं पाई. यहां तक कि यूपी में 4 बार सरकार बनाने के बाद भी ये एक सीट फतह कर पाना उसके लिए नामुमकिन ही रहा.
मानिकपुर सीट नहीं कर पाई फतह
समाजवादी पार्टी की जीत का रथ भले ही 4 बार सीएम की कुर्सी तक पहुंच गया लेकिन बुंदेलखंड की मानिकपुर विधानसभा के आगे उसे हमेशा घुटने टेक पड़े. यहां तक कि इस सीट को जीतने के लिए उसने डकैतों से नजदीकियां भी बढ़ाईं. डकैत के बेटे को टिकट भी दी लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ. दरअसल, एक जमाने में सपा की डकैत ददुआ से खासी नजदीकी रही, इसीलिए वह मायावती की आंखों की किरकिरी बन गया. जैसे ही बसपा सुप्रीमो मायावती पॉवर में आईं उन्होंने ददुआ का एनकाउंटर करा दिया. बस यहीं से सपा के इस सीट पर बुरे दिन शुरू हो गए. लोगों को लगा कि मायावती ने उन्हें डकैतों से बचा लिया. इसके बाद उन्होंने यहां सपा को कभी जीतने ही नहीं दिया.
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दशकों तक रहा डकैतों का राज
डकैतों ने मानिकपुर को 6 दशकों तक आतंक और खून से लाल रखा. गांवों में जमकर उत्पात मचाया. डकैतों के इशारे पर प्रधान चुने जाते थे. कुल मिलाकर डकैतों का ही राज था. 60 के दशक से ही बुंदेलखंड में डकैतों की गैंग जबरदस्त सक्रिय रही. यह हालात नई सदी शुरू होने के बाद भी जारी रहे और 2007 से स्थिति संभली. फिर चाहे बात डकैत गया प्रसाद, डकैत ददुआ, डकैत ठोकिया या डकैत गोरी यादव की हो. इसमें राजनीति करने के मामले में डकैत ददुआ अव्वल रहा. उसने 2004 के लोकसभा चुनावों में सपा के लिए प्रचार तक किया. इसके बाद ही उसका एनकाउंटर हो गया. इसके बाद एक के बाद एक करके कई डकैत एनकाउंटर्स में मारे गए.
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सब जीते लेकिन सपा हारी
मानिकपुर सीट के इतिहास को उठाकर देखें तो 1952 में कांग्रस की टिकट पर दर्शन राम जीते. इसके बाद अगले 3 चुनावों में भी कांग्रेस जीती. फिर जनसंघ के उम्मीदचार जीते. बीजेपी भी जीती, बसपा भी जीती लेकिन सपा हमेशा हारी. 2017 के चुनावों में बीजेपी ने बसपा को हराने के लिए मास्टर प्लान बनाया और बसपा के ही पूर्व विधायक आरके पटेल को टिकट दे दी. पटेल भारी मतों से जीते. 2019 में पटेल के सांसद बनने के बाद उपचुनाव में भी सपा ने इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी लेकिन फिर भी खाली हाथ रह गई. फिलहाल यहां से बीजेपी के आनंद शुक्ला विधायक हैं.