UP Politics: देश की सियासी हवा में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) का रंग धीरे-धीरे घुलने लगा है. पक्ष-विपक्ष दोनों हर दिन नई चाल चलने में लगे हुए है. अगर कोई एक दांव चलता है तो दूसरा उसकी काट करने लग जाता है. माना जा रहा है कि ऐसा ही चलता रहा तो 2024 की जंग और कड़ी हो जाएगी. बता दें कि हाल ही में भोपाल की एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने पसमांदा मुसलमानों (Pasmanda Muslims) का जिक्र किया और इसके साथ ही कांग्रेस पर भी निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वोट बैंक पॉलिटिक्स करने वालों ने पसमांदा मुस्लिमों का जीना मुहाल किया हुआ है. लेकिन अब पीएम के ही बयान को मुद्दा बनाते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने नया दांव चल दिया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मायावती ने चला ये दांव


पसमांदा मुसलमानों पर ट्वीट करते हुए मायावती ने ट्वीट किया कि पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से भोपाल में बीजेपी के कार्यक्रम में सार्वजनिक तौर पर ये कहना कि भारत में रहने वाले 80 फीसदी मुसलमान 'पसमांदा, पिछड़े, शोषित' हैं. ये उस कड़वी जमीनी हकीकत को स्वीकार करना है जिससे उन मुस्लिमों के जीवन सुधार हेतु आरक्षण की जरूरत को समर्थन मिलता है.


बीजेपी-सपा को ऐसे दिया फंसा


अपने अगले ट्वीट में मायावती ने लिखा कि अतः अब ऐसे हालात में बीजेपी को पिछड़े मुस्लिमों को आरक्षण मिलने का विरोध भी बंद कर देने के साथ ही इनकी सभी सरकारों को भी अपने यहां आरक्षण को ईमानदारी से लागू करके और बैकलॉग की भर्ती को पूरी करके ये साबित करना चाहिए कि वे इन मामलों में अन्य पार्टियों से अलग हैं.


अब क्या करेगी समाजवादी पार्टी?


गौरतलब है कि मायावती के पसमांदा मुसलमानों पर दांव से अब बीजेपी और समाजवादी पार्टी मुश्किल में पड़ गई है. मायावती ने पसमांदा मुसलमानों के मुद्दे पर पीएम मोदी की बात का समर्थन करके आरक्षण की बात पूछ ली. इसके अलावा जो सपा मुसलमानों को अपना सबसे बड़ा वोटबैंक मानती है. उसके सामने मुश्किल है कि वह पसमांदा मुसलमानों के मुद्दे पर सपोर्ट करे या नहीं. मुश्किल ये है कि पसमांदा मुसलमानों की संख्या करीब 80 फीसदी है. देखने वाली बात होगी सपा और बीजेपी अब क्या करती हैं.


जरूरी खबरें


निकाल लीजिए छतरी और रेनकोट, दिल्ली-NCR में इतने दिनों तक झमाझम बरसेंगे बादल
योगी आदित्यनाथ की तारीफ में मुस्लिम महिला ने पढ़े कसीदे, क्यों फातिमा है इतनी खुश?