UP के नगर निगमों में आवारा गोवंश के रखरखाव के लिए 17.52 करोड़ की मंजूरी
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UP के नगर निगमों में आवारा गोवंश के रखरखाव के लिए 17.52 करोड़ की मंजूरी

इस धनराशि से अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर, मुरादाबाद, मथुरा, अयोध्या, फिरोजाबाद, आगरा, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, लखनऊ, मेरठ, बरेली एवं इलाहाबाद के नगर निगमों की गोशालाओं में गोवंश का रखरखाव किया जाएगा.

UP के नगर निगमों में आवारा गोवंश के रखरखाव के लिए 17.52 करोड़ की मंजूरी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 16 नगर निगमों में आवारा गोवंश के रखरखाव हेतु स्थापित गोशालाओं के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में 17.52 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है. इस धनराशि से अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर, मुरादाबाद, मथुरा, अयोध्या, फिरोजाबाद, आगरा, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, लखनऊ, मेरठ, बरेली एवं इलाहाबाद के नगर निगमों की गोशालाओं में गोवंश का रखरखाव किया जाएगा.

प्रमुख सचिव, (पशुधन) सुधीर एम बोबडे द्वारा इस संबंध में जारी शासनादेश में कहा गया है कि प्रदेश के 16 नगर निगमों में गोवंश के रखरखाव हेतु प्रति नगर निगम 1000 गोवंश हेतु 365 दिवसों (एक वर्ष) के लिए 30 रुपये प्रतिदिन प्रति गोवंश अर्थात 109.50 लाख रुपये की धनराशि व्यय की जाएगी.

इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांजी हाउस का नाम बदलकर गो-संरक्षण केन्द्र रखने तथा बेसहारा गोवंश और आवारा पशुओं को इन केन्द्रों में रखने के निर्देश दिए थे. सीएम योगी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी 10 जनवरी तक बेसहारा एवं आवारा पशुओं को गो-संरक्षण केन्द्रों में पहुंचा दिया जाए ताकि लोगों को इस समस्या से निजात मिले.

मुख्यमंत्री ने बुधवार (02 जनवरी) की रात गोवंश के संरक्षण के लिए वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को सम्बोधित किया. उन्होंने कहा कि गो-संरक्षण केन्द्रों में पशुओं के चारे, पानी और सुरक्षा की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. जहां पर चहारदीवारी नहीं है वहां फेन्सिंग की व्यवस्था की जाए. इन केंद्रों में पशुओं की देखरेख करने वालों की नियुक्ति की जाए. 

सीएम योगी ने कहा कि आवारा पशुओं के मालिकों का पता लगाकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. गो-संरक्षण केन्द्र से अपने पशु को छुड़ाने के लिए आने वालों से आर्थिक दण्ड वसूला जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि बेसहारा और आवारा पशु जहां नगरीय क्षेत्रों में दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में ये फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं.

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