नूर फातिमा ने भगवान शिव का मंदिर बनवाने के पीछे की वजह भी बताई. उनकी मानें तो भगवान शंकर ने खुद उनके सपने में आकर मंदिर स्थापित करने के लिए कहा था.
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नवीन पांडे/वाराणसी: मान्यताओं की मानें तो भगवान शिव की नगरी काशी (वाराणसी) उनके त्रिशूल पर विराजमान बताई जाती है. वाराणसी को गंगा-जमुनी तहजीब के लिए भी जाना जाता है. यहां हर धर्म के लोग एक दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहते हैं. वाराणसी की रहने वाली नूर फातिमा ने सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की कुछ ऐसी ही बेहतरीन मिसाल पेश की है.
नूर फातिमा मुस्लिम महिला हैं, लेकिन उन्होंने अपने धर्म से ऊपर उठकर भगवान शिव के मंदिर का निर्माण कराया है. नूर फातिमा ने भगवान शिव का मंदिर बनवाने के पीछे की वजह भी बताई. उनकी मानें तो भगवान शंकर ने खुद उनके सपने में आकर मंदिर स्थापित करने के लिए कहा था.
नूर फातिमा के सपने में आए थे भगवान शंकर
उन्होंने कहा, 'साल 2004 में भगवान शंकर मेरे सपने में आए थे और मंदिर स्थापित करने के लिए कहा था. पहले तो मैंने इसे एक सपना समझकर भुला दिया था. फिर मेरे घर में एक साथ कई विपत्तियां आईं. मैंने सपने को गंभीरता से लिया और अपने धर्म से ऊपर उठकर भोले नाथ के मंदिर की स्थापना कराई. इसके बाद से मेरे परिवार में बदलाव आया है.'
अपनी जमीन पर ही कराया है मंदिर का निर्माण
वाराणसी के गणेशपुर इलाके में स्थित यह रुद्रेश्वर महादेव मंदिर पिछले डेढ़ दशक से हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बना हुआ है. नूर फामिता ने 2004 में अपने घर के पास खाली जमीन पर इस मंदिर का निर्माण कराया था. नूर फातिमा की मानें तो पहले से अब उनके जीवन में पहले से ज्यादा खुशी है.
नमाज के साथ करती हैं महामृत्युंजय मंत्र का जप
यही वजह है कि नूर फातिमा हर सुबह नमाज अदा करने के बाद अपने बनाए गए शिव मंदिर में जाकर गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जप करती हैं.'' स्थानीय लोग भी नूर फातिमा द्वारा बनाए गए शिव मंदिर में पूजा करने आते हैं और उनके इस प्रयास की सराहना करते नहीं थकते.