देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पेट्रोलियम के सीनियर साईंटिस्ट और उनकी पूरी टीम ने बायो फ्यूल तैयार किया है. इससे गणतंत्र दिवस पर भारतीय वायु सेना का एयरक्राफ्ट उड़ाया जाएगा.
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मयंक राय, देहरादून : इस गणतंत्र दिवस पर देश की कामयाबी की किताब में एक और सुनहरा पन्ना जुड़ने जा रहा है. गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने वाला एक एयरक्राफ्ट बायोफ्यूल से अपनी उड़ान पूरी करेगा. एक ओर जहां, 26 जनवरी की भव्य परेड को देखने के लिए लाखों लोग मौजूद रहेंगे. वहीं कुछ लोगों की निगाहें भारतीय वायु सेना के एक खास एयरक्राफ्ट पर होंगी. ये खास लोग इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के वैज्ञानिक और उनकी टीम होगी. इस टीम द्वारा तैयार किए गए बायो फ्यूल का इस्तेमाल भारतीय वायु सेना गणतंत्र दिवस पर अपने एयरक्राफ्ट को उड़ाने के लिए करेगी.
देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पेट्रोलियम के सीनियर साईंटिस्ट और उनकी पूरी टीम ने बायो फ्यूल तैयार किया है. इससे गणतंत्र दिवस पर भारतीय वायु सेना का एयरक्राफ्ट उड़ाया जाएगा. भारतीय वायु सेना द्वारा आईआईपी से करीब दो हजार लीटर बायो फ्यूल की मांग की गई थी. कड़ी मशक्कत के बाद वैज्ञानिकों की टीम ने तय समय पर बायो फ्यूल भारतीय वायुसेना को सौंप दिया है.
खास पल का इंतजार
आईआईपी के सीनियर साईंटिस्ट ए के सिन्हा और उनकी पूरी टीम को 26 जनवरी के उस खास पल का बेसब्री से इंतजार है, जब उनके द्वारा तैयार किए गए बायो फ्यूल से भारतीय वायु सेना अपना एयर क्राफ्ट उड़ाएगी. बता दें कि इससे पहले भी बीते वर्ष 27 अगस्त को बायो फ्यूल के जरिए देहरादून से दिल्ली के लिए विमान सफल उड़ान भर चुका है. इस समय पूरी टीम ने गर्व महसूस किया था. अब चूंकि प्रदर्शन एक खास मौके पर होना है लिहाजा टीम के सभी मेंबर्स खासे उत्साहित नजर आ रहे हैं. टीम लीडर साईंटिस्ट एके सिन्हा ने बताया भारतीय वायु सेना ने हमसे करीब दो हजार लीटर बायो फ्यूल उपलब्ध कराने के लिए कहा था. टीम के सदस्यों ने दिन रात मेहनत कर तय समय पर बायो फ्यूल भारतीय वायु सेना को सौंप दिया है.
जेट्रोफा से तैयार होता है बायो फ्यूल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार अपने संबोधन में कह चुके हैं कि देश को तेल के अन्य विकल्पों पर कार्य किये जाने की सख्त जरूरत है. बता दें कि बायो फ्यूल जेट्रोफा के बीज से तैयार किया जाता है. जेट्रोफा से बायो फ्यूल तैयार करने वाली आईआईपी के वैज्ञानिकों को अंजाम तक पहुंचने में करीब दस साल का वक्त लग गया. बीते वर्ष दून टू दिल्ली के सफल उड़ान के बाद टीम के हौसले बुलंद हैं. अब बस इंतजार है तो उस पल का जब बायो फ्यूल से एयरक्राफ्ट उड़ेगा. वैज्ञानिकों ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने उन्हें जिस तरह की जानकारी दी है उसके मुताबिक, एयरक्राफ्ट में दस प्रतिशत बायो फ्यूल का इस्तेमाल किया जाएगा, जबकि नब्बे प्रतिशत विमानों में इस्तेमाल होने वाला तेल होगा.