Intresting News: बजरंगबली के आपने कई रूप देखे होंगे. लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसी भी जगह है, जहां हनुमान जी गिलहरी के रूप में विराजमान हैं. हनुमान जी का ऐसा रूप है जो आपको देश-दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा.
ज्येष्ठ माह के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. यह दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित होता है और भक्त इस दिन विशेष पूजा-पाठ, व्रत और भक्ति करते हैं. खासकर उत्तर भारत में यह दिन बहुत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है.
ज्येष्ठ माह के दूसरे बड़े मंगलवार के दिन लखनऊ से लेकर प्रयागराज के प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त से ही भक्तों की लंबी कतारें लग गईं. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस दिन सच्चे मन से बजरंगबली की उपासना करता है और उपवास रखता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
आज हम आपको हनुमान जी के ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे. जिसके बारे में पहले शायद ही आपको पता होगा. यहां हनुमान जी का ऐसा रूप है जो आपको देश-दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा.
आपने हनुमान जी के न जाने कितने रूप देखे होंगे लेकिन ताला नगरी के नाम मशहूल उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान बजरंगबली गिलहरी रूप में विराजमान हैं.
यहां पर हनुमान जी को गिलहरी के नाम से पूजा जाता है. गांधी पार्क स्थित अचल सरोवर में 50 से अधिक देवी देवताओं के मंदिर बने हैं. यहीं पर हनुमान जी को समर्पित श्री गिलहराज जी महाराज मंदिर बना हुआ है.
स्थानीय लोगों की मानें तो गिलहराज मंदिर की खोज सैकड़ों साल पहले महंत श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज ने करवाई थी. ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी महंत को सपने में दर्शन दिए थे और कहा कि मेरी पूजा करो.
जब उस महंत ने अपने शिष्य को अचल सरोवर पर खोज करने के लिए भेजा तो उन्हें वहां मिट्टी के ढेर पर बहुत सारी गिलहरियां मिली. इसके बाद जैसे ही उस जगह को खोदा तो वहां जमीन के नीचे से मूर्ति निकली. यह मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमान जी की थी. जब महंत जी को इस बारे में बताया गया तो वह भी अचल सरोवर पर आ गए.
मंदिर से जुड़े महंत कौशल नाथ कहते हैं कि ऐसी भी मान्यता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ जी ने अचल सरोवर पर पूजा अर्चना की थी. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां 41 दिन दर्शन करने से जो भी मनोकामना होती है वह पूरी हो जाती है.
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