AIMPLB ने कहा, 'गुंबद के नीचे जन्मस्थान के प्रमाण नहीं, दाखिल करेंगे रिव्यू पिटीशन'
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AIMPLB ने कहा, 'गुंबद के नीचे जन्मस्थान के प्रमाण नहीं, दाखिल करेंगे रिव्यू पिटीशन'

एआईएमपीएलबी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई.

AIMPLB ने कहा, 'गुंबद के नीचे जन्मस्थान के प्रमाण नहीं, दाखिल करेंगे रिव्यू पिटीशन'

लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगा. एआईएमपीएलबी ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी जानकारी दी. एआईएमपीएलबी ने कहा कि जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि वहां नमाज पढ़ी जाती थी. गुंबद के नीचे जन्मस्थान का प्रमाण नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई. AIMPLB ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कई मुद्दों पर समझ से परे है.  AIMPLB ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जाएगी.  AIMPLB पुनर्विचार याचिका दायर करेगा.

जफरयाब जिलानी ने कहा कि कोई दूसरी जगह मस्जिद के लिए मंज़ूर नहीं होगी. उन्होंने कहा कि कोर्ट और एएसआई रिपोर्ट ने माना है कि किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई है. गुम्बद के नीचे जन्मस्थान का प्रमाण नहीं मिला है. कोर्ट का फैसला कई मायनों में समझ से परे है. उन्होंने कहा कि साफ गलतियां होने से रिव्यू पेटिशन फाइल करने का फैसला लिया गया है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जब मूर्तियां रखना गलत माना गया, तो मूर्तियों को देवता कैसे मान लिया गया. उसे जमीन कैसे दे दी गई. वक्फ एक्ट के तहत जमीन अदला-बदली नहीं हो सकती, तो दूसरी जमीन मस्जिद के लिए कैसे दी जा सकती है.

जफरयाब जिलानी ने कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट की फाइंडिंग्स हैं कि बाबरी मस्जिद को बाबर के समय मीर बाकी ने बनवाया. 1857 से 1949 तक मस्जिद मुसलमानों के पास थी. जो मुख्य गुंबद में मूर्ति रखी गई, वो कानून के खिलाफ था. गुंबद के नीचे राम लला का जन्म नहीं सिद्ध होता है. जन्मस्थान को देवता नहीं माना जा सकता है. बाबरी को गिराने का काम हिंदुस्तान के सेक्युलर के खिलाफ था. चूंकि हिन्दू सदियों से पूजा करते रहे हैं, इसलिए राम लला को जमीन दी गई.

एआईएमपीएलबी के सदस्य ने कहा कि अलग से 5 एकड़ जमीन नही लेंगे. न्याय हित मे मुसलमानों को मस्जिद की भूमि ही दी जाए. अन्य भूमि स्वीकार नहीं होगी, इसलिए बाबरी मस्जिद की भूमि ही दी जाए. 

एआईएमपीएलबी के सदस्य ने कहा कि मुस्लिम पक्ष दूसरी जगह जमीन स्वीकार नहीं करेगा. इसके साथ ही एआईएमपीएलबी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर 10 सवाल उठाए हैं. एआईएमपीएलबी ने कहा कि हमें वही जमीन चाहिए, जिसके लिए लड़ाई लड़ी गई. शरीयत के मुताबिक हम मस्जिद के लिए कोई दूसरी जमीन नहीं ले सकते हैं. अयोध्या का मुद्दा शरीयत का मुद्दा है.

गौरतलब है कि अयोध्या फैसले को लेकर रविवार को लखनऊ के मुमताज कॉलेज में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) कार्य समिति की बैठक हुई थी. अयोध्या मामले पर AIMPLB की बैठक में वर्किंग कमेटी के ज्यादातर सदस्य रिव्यू पिटीशन फाइल करने के पक्ष में थे. जफरयाब जिलानी और ओवैसी ने रिव्यू फाइल करने के साथ ही 5 एकड़ जमीन का प्रस्ताव खारिज करने की बात बैठक में कही थी. सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन की तरफ से रिव्यू के लिए मना करने की स्थिति में सुन्नी वक्फ बोर्ड के बाकी मेंबर्स से बात करने और साथ लेने की कोशिश होगी. 

गौरतलब है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और इकबाल अंसारी को छोड़कर बाकी बाबरी पक्षकार रिव्यू के समर्थन में हैं. AIMPLB के जनरल सेक्रेटरी ने शनिवार को पक्षकारों से हुई बातचीत के बारे में वर्किंग कमेटी को जानकारी दी. सहमति बनने के बाद दो हफ्तों के भीतर रिव्यू पिटीशन फाइल की जा सकती है.

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