जाकिर नाइक के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, हो सकती है गिरफ्तारी
Advertisement

जाकिर नाइक के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, हो सकती है गिरफ्तारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने  22 मार्च को गैर जमानती वारंट पर लगी रोक हटा ली थी. 29 मार्च की सुनवाई में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट के आने वाले फैसले से तय होगा कि जाकिर नाइक को राहत मिलेगी या फिर भारत आने पर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा.

2011 में जाकिर खान के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था. (फाइल फोटो)

इलाहाबाद: फरार चल रहे विवादित मुस्लिम धर्मगुरु डॉ जाकिर नाइक को झांसी कोर्ट से मिली गैर जमानती वारंट (नॉन बेलेबल वारंट-NBW)की वैधता पर इलाहाबाद  हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पिछली सुनवाई (22 मार्च) के दौरान हाईकोर्ट ने जाकिर नाइक को झटका देते हुए झांसी जिला कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट पर लगी रोक हटा ली थी. 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ही गैर जमानती वारंट पर तत्काल रोक लगाई थी. डॉ जाकिर नाइक पर लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़काने और देशद्रोह के लिए उकसाने के आरोप हैं. झांसी जिला कोर्ट ने 30 अप्रैल 2010 को धारा 121 (देशद्रोह) समेत अन्य धाराओं के तहत जाकिर नाइक के खिलाफ समन जारी किया था. बाद में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया, जिसे जाकिर नाइक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए रोक की मांग की थी.

  1. 22 मार्च को गैर जमानती वारंट पर लगी रोक हटा ली गई
  2. झांसी जिला कोर्ट ने दिया था गैर जमानती वारंट का आदेश
  3. धार्मिक भावना भड़काने और देशद्रोह के लिए उकसाने के आरोप

क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के मुदस्सर खान ने 9 जनवरी 2008 को जिला कोर्ट में जाकिर नाइक के खिलाफ IPC की धारा 109, 115, 121 समेत कई धाराओं के तहत मामले दर्ज करने की अपील की थी. मुदस्सर खान ने जाकिर खान द्वारा संचालित 'पीस टीवी' के कार्यक्रमों को लेकर आपत्ति जताई थी. मुदस्सर खान ने अपनी याचिका में कहा था कि जाकिर खान अपने भाषणों से लोगों को भड़काते हैं. उनका भाषण सुनकर मुस्लिम युवक गलत रास्ता अपना रहे हैं, और वे आतंकवाद की तरफ अग्रसर हो रहे हैं. झांसी जिला कोर्ट ने अर्जी को मंजूर करते हुए जाकिर नाइक के खिलाफ कई समन जारी किए थे. बार-बार समन जारी करने के बावजूद जाकिर नाइक कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो 2011 में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया. गिरफ्तारी की तलवार लटकने पर जाकिर नाइक ने मई 2011 में गैर जमानती वारंट की वैधता को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

पढ़ें: जाकिर नाइक को मलेशिया सरकार ने दिया स्थाई निवासी का दर्जा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी थी तत्काल राहत
मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने याचिकाकर्ता मुदस्सर खान से तीन हफ्तों के भीतर सबूत पेश करने को कहा था. सबूत पेश करने तक जाकिर नाइक के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट पर रोक लगा दी गई थी. आरोप है कि कोर्ट के उस फैसले के बाद मुदस्सर खान पर कई तरह के दबाव बनाए गए और केस वापस लेने की धमकी दी गई. किसी भी वजह से मुदस्सर खान ने मामले में पैरवी करनी बंद कर दी. मुदस्सर खान जब कोर्ट के सामने सबूत लेकर नहीं पहुंचे और पैरवी के लिए आगे नहीं आए तो हाईकोर्ट से मिली तत्काल राहत लगातार बरकरार रही.

यूपी: बदहाल चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था पर हाईकोर्ट सख्‍त, कहा- जाम में फंसकर न जाए मरीज की जान

फिलहाल जाकिर खान देश से फरार
पिछले दिनों जाकिर खान के खिलाफ जब फिर से आवाज उठने लगी और पीस टीवी को बैन कर दिया गया तो मुदस्सर खान ने फिर से कोर्ट में अर्जी दाखिल की. बीते 6-7 सालों में उन्होंने जाकिर नाइक के खिलाफ तमाम सबूत इकट्ठा किए. सबूत इकट्ठा कर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट से गैर जमानती वारंट पर लगी रोक की सुनवाई फिर से करने की मांग की. हाईकोर्ट ने उनकी अर्जी स्वीकार करते हुए 22 मार्च को गैर जमानती वारंट पर लगी रोक हटा ली थी. अदालत से आने वाले फैसले से तय होगा कि जाकिर नाइक को हाईकोर्ट से राहत मिलेगी या फिर भारत आने पर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा.

Trending news