इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक दर्जन से अधिक अफगान छात्र अलग-अलग कोर्सेज में इनरोल हैं, जब अफगान छात्रों से इस संबंध में बात की तो सबके चेहरे पर तनाव, परिवार और भविष्य को लेकर चिंता और आशंकाएं दिखाई दीं.
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गुफरान/प्रयागराज: अफगानिस्तान में सरकार के पतन के साथ साथ तालिबान का लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा हो चुका है. काबुल की गलियों में तालिबान लड़ाके गश्त कर रहे हैं. ऐसे समय मे मुल्क से बाहर रहकर पढ़ाई कर रहे अफगान छात्र भी सहमे से नजर आ रहे हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक दर्जन से अधिक अफगान छात्र अलग-अलग कोर्सेज में इनरोल हैं, ये सभी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इंटनेशनल हॉस्टल में रहते हैं. जब अफगान छात्रों से इस संबंध में बात की तो सबके चेहरे पर तनाव-परिवार और भविष्य को लेकर चिंता और आशंकाएं दिखाई दीं.
अधर में दिख रहा भविष्य- अफगान छात्र
छात्र बताते हैं कि देश में हालात बहुत बुरे हैं, कल क्या होगा कोई नहीं जानता. इन्हें अपनों की इतनी चिंता है कि ये सारी-सारी रात जागकर उनका हाल लेते रहते हैं. साथ ही लगातार वहां के हालात पर नज़र बनाये हुए हैं. इंडिया में रहकर पढ़ाई करने के बाद ये छात्र सुनहरे भविष्य का सपना देख रहे थे, लेकिन अब इन्हें अपना भविष्य भी अधर में नज़र आ रहा है .
हालात पर बात करने में भी लग रहा डर- अफगान छात्र
काबुल के रहने वाले मलिक मोहम्मद एम.ए. हिंदी ( मॉडर्न हिंदी लेंग्वेज एंड लिटरेचर ) में सेकेंड सेमेस्टर के छात्र हैं. मालिक इसके पहले अंतरराष्ट्रीय केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा से हिंदी में पीजी डिप्लोमा भी ले चुके हैं. मालिक अफगानिस्तान के हालात को लेकर बेहद घबराए और परेशान दिखाई दिए. उनके परिवार के 13 लोग काबुल में मौजूद हैं. वो इस साल 8 मार्च को अफगानिस्तान से यहां पहुंचे थे. मलिक ने बताया कि उन्हें वहां के हालात पर बात करने में भी डर लग रहा है.
छात्रों को सता रही परिवार की चिंता
अज़ीज़-उल-रहमान जो एमसीए फाइनल ईयर के स्टूडेंट है. अज़ीज़ 2015 में भारत आये थे, इसके पहले वो यूनिवर्सिटी से बीसीए भी कर चुके हैं. अज़ीज़ अफगानिस्तान के पख्तिया के रहने वाले है. वो भी अपने देश के हालात से बेहद परेशान है. वो बताते हैं कि उनके घर मे 12 मेंबर हैं, वहां जो हालात हैं, उसके बारे में सोचकर उन्हें नींद नहीं आ रही है.
'भविष्य अनिश्चित, क्या होगी कोई नहीं जानता'
अफगानिस्तान के लगमान प्रांत के रहने वाले अब्दुल रहमान 2019 से भारत में हैं. जो बीकॉम फाइनल ईयर के स्टूडेंट हैं. अब्दुल रहमान को हिंदी नहीं आती हैं. वो इंग्लिश में बात करते हैं. अफगानिस्तान के खराब हालात पर खुलकर, बेझिझक बात करते हैं. वो कहते हैं कि अब उन सबका भविष्य अनिश्चित है. अफगानिस्तान में क्या होने जा रहा है कोई नहीं जानता. उनके चेहरे पर गहरा तनाव देखा जा सकता है.
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