जज्बे को सलाम: जन्म से नेत्रहीन हैं तीन सगे भाई-बहन, पढ़ाई कर निभा रहे परिवार के प्रति जिम्मेदारी
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जज्बे को सलाम: जन्म से नेत्रहीन हैं तीन सगे भाई-बहन, पढ़ाई कर निभा रहे परिवार के प्रति जिम्मेदारी

गौरव का सपना आईएएस बनने का है. गौरव ने एमए की पढ़ाई लखनऊ से की है. सौरभ भी अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है. सौरभ ने बीए तक की पढ़ाई  दिल्ली से की है. सौरभ ब्लाइंड होने भी क्रिकेट खेल लेता है. दोनों भाई अच्छी तरह से लैपटॉप एवं मोबाइल भी चला लेते हैं. 

जज्बे को सलाम: जन्म से नेत्रहीन हैं तीन सगे भाई-बहन, पढ़ाई कर निभा रहे परिवार के प्रति जिम्मेदारी

गौरव श्रीवास्तव/औरैया: जिले के बिधूना तहसील के भगवान पूरा गांव में एक परिवार लोगों के लिए मिसाल बना हुआ है. यह एक ऐसा परिवार रहता है जिसमें तीन बच्चे ब्लाइंड होने के बाद भी दूसरों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं. अंधे होने के बाद भी अपने पैरों पर खड़े होने के लिए अपनी दुकान चलाते हैं. अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के बाद नौकरी नहीं मिली. इसके बाद भी इन्होंने अपना हौंसला नहीं खोया.

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दुकान चलाते हैं गौरव और सौरभ
यह परिवार ऊदल सिंह का है. इस परिवार पर जितना गर्व किया जाए वह कम है. ऊदल सिंह के बड़े बेटे कुमार गौरव अपने छोटे भाई के साथ एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते हैं. गौरव और सौरभ दोनों ही जन्म से अंधे हैं. अपनी दुकान में रखी हर चीज की पहचान इन दोनों को बखूबी है. दुकान में ठंडे पदार्थ से लेकर साबुन, नमकीन बिस्कुट और अन्य रोजमर्रा का सामान मिलता हैं. नेत्रहीन बहन भी इनके काम में सहयोग करती है. 100, 500, 50, और अन्य नोटों को खूब भली प्रकार से पहचान कर सामान के पैसे काट कर वापस कर देते हैं.

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ये हैं इन दोनों का सपना
गौरव का सपना आईएएस बनने का है. गौरव ने एमए की पढ़ाई लखनऊ से की है. सौरभ भी अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है. सौरभ ने बीए तक की पढ़ाई  दिल्ली से की है. सौरभ ब्लाइंड होने भी क्रिकेट खेल लेता है. बॉल की आवाज से पहचान लेता है कि बॉल कहां पर आई.

लैपटॉप एवं मोबाइल भी चला लेते हैं दोनों भाई
दोनों भाई अच्छी तरह से लैपटॉप एवं मोबाइल भी चला लेते हैं. यहां तक कि लेपटॉप पर टाइपिंग भी करते हैं. यही नहीं कोविड कॉल में दोनों ने ऑनलाइन पढ़ाई भी की.

परिवार को गर्व है अपने बच्चों पर
पिता का कहना है हमें अपने बच्चो पर गर्व है. हमारे तीनो बच्चे काफी समझदार हैं. वहीं उनके बाबा का कहना है कि हमने अपनी सारी कमाई अपने नातियों और नातिन की पढ़ाई में लगा दी. हमारे नाती अच्छी शिक्षा पाए हैं. हमने अपने बच्चों को देहरादून, दिल्ली, लखनऊ और कानपुर सभी जगह पर पढ़ाया. बाबा का एक ही सपना है कि इन्हें जॉब मिल जाए. वहीं मां ने कहा कि हम लोग अपने बच्चों को बहुत प्यार करते हैं हम लोग बहुत खुश हैं. हमारे बच्चों ने अच्छी पढ़ाई की है.

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