अयोध्या मामला: मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में सौंपी रिपोर्ट; कल होगी सुनवाई
Advertisement

अयोध्या मामला: मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में सौंपी रिपोर्ट; कल होगी सुनवाई

पिछली सुनवाई में ही मध्यस्था पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर मध्यस्था पूरा करने के लिए और वक्त मांगा था. हिन्दू पक्षकार गोपाल विशारद के वकील परासरन ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की तारीख तय करने की मांग की थी और कहा था कि अगर कोई समझोता हो भी जाता है, तो उसे कोर्ट की मंजूरी ज़रुरी है. 

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कल मामले की सुनवाई करेगी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: अयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थता पैनल ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कल मामले की सुनवाई करेगी और रिपोर्ट देखने के बाद ये तय करेगी कि मुख्य मुक़दमे की सुनवाई कब से की जाए. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल से 31 जुलाई तक मध्यस्थता का काम पूरा कर 1 अगस्त को रिपोर्ट सौंपने को कहा था. इस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट कल यानि शुक्रवार को सुनवाई करेगा. संविधान पीठ ने कहा था कि वो 2 अगस्त को मध्यस्थता पैनल की अंतिम रिपोर्ट देखने के बाद तय करेगा कि इस केस में रोजाना सुनवाई हो या नहीं.

दरअसल, पिछली सुनवाई में ही मध्यस्था पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर मध्यस्था पूरा करने के लिए और वक्त मांगा था. हिन्दू पक्षकार गोपाल विशारद के वकील परासरन ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की तारीख तय करने की मांग की थी और कहा था कि अगर कोई समझोता हो भी जाता है, तो उसे कोर्ट की मंजूरी ज़रुरी है. मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने विरोध किया था और उन्होंने कहा था कि ये मध्यस्थता प्रकिया की आलोचना करने का वक़्त नहीं है. राजीव धवन ने मध्यस्थता प्रकिया पर सवाल उठाने वाली अर्जी को खारिज करने की मांग की थी. लेकिन निर्मोही अखाड़ा ने गोपाल सिंह की याचिका का समर्थन किया था और कहा था कि मध्यस्थता प्रकिया सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है.

इससे पहले कमेटी ने मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त समय की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को 15 अगस्त तक का समय दिया था. 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज एफ एम कलीफुल्ला, धर्म गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचु को मध्यस्थ नियुक्त किया था. कोर्ट ने सभी पक्षों से बात कर मसले का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पैनल 4 हफ्ते में मध्यस्थता के जरिए विवाद निपटाने की प्रक्रिया शुरू करने के साथ 8 हफ्ते में यह प्रक्रिया खत्म हो. गौरतलब है कि राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरादिया गया था. इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला था. 

टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में है पेंडिंग
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था. फैसले में कहा गया था कि विवादित लैंड को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए. जिस जगह रामलला की मूर्ति है, उसे रामलला विराजमान को दिया जाए. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी थी. इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी. कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे. उसके बाद से ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

Trending news