498 साल बाद 21 किलो के चांदी के पालने पर झूला झूलेंगे रामलला, नाग पंचमी के दिन होंगे विराजमान
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498 साल बाद 21 किलो के चांदी के पालने पर झूला झूलेंगे रामलला, नाग पंचमी के दिन होंगे विराजमान

अयोध्या में राम जन्मभूमि परिषर के अंदर रामलला के अस्थाई मंदिर में 498 वर्षों के बाद भगवान राम चांदी के झूले में झूला झूलने जा रहे हैं. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 21 किलो चांदी से भगवान श्रीराम का झूला बनवाया है.

 498 साल बाद 21 किलो के चांदी के पालने पर झूला झूलेंगे रामलला, नाग पंचमी के दिन होंगे विराजमान

मनमीत गुप्ता/अयोध्या: रामनगरी अयोध्या में 11 अगस्त से झूला मेला शुरू हो गया है. कोरोना के चलते इस साल ये झूला महोत्सव धूमधाम से नहीं मनाया जा रहा है.  लेकिन मंदिरों में भगवान को रक्षाबंधत तक झूला झूलाया जाएगा और गीत सुनाए जाएंगे. राम जन्मभूमि परिसर में भी रामलाल चांदी के झूले में झूलेंगे. रामलला श्रावण मास में शुरू होने वाले झूलन महोत्सव का आनंद लेंगे.

 21 किलो चांदी से बना है भगवान राम के लिए झूला 

ऐसा पहली बार हो रहा है कि रामलला के लिए चांदी का खास झूला तैयार करवाया गया है. यह खास झूला बुधवार को रामलला को सौंप दिया गया है और नागपंचमी वाले दिन रामलला झूला झूलेंगे. अयोध्या में राम जन्मभूमि परिषर के अंदर रामलला के अस्थाई मंदिर में 498 वर्षों के बाद भगवान राम चांदी के झूले में झूला झूलने जा रहे हैं. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 21 किलो चांदी से भगवान श्रीराम का झूला बनवाया है. भगवान राम नाग पंचमी (13 अगस्त) को चांदी के झूले में झूलेंगे और सावन पूर्णिमा तक रामलला चांदी के झूले में राम भक्तों को दर्शन देंगे.

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13 अगस्त को नाग पंचमी के दिन झूले पर विराजेंगे रामलला
रामलला की मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है की रामलला 13 अगस्त को नाग पंचमी के दिन झूले पर विराजेंगे. आज यह झूला रामलला मंदिर में पहुंच गया है. कल सुबह रामलला झूलें में विराजेगें. यही नहीं रामलला को कजरी गीत भी सुनाई जाएगी.

मणि पर्वत पर भगवान श्री राम मां सीता के साथ झूलते हैं झूला 
धर्म नगरी अयोध्या में श्रावण मास, तृतीया तिथि, हरियाली तीज के दिन मणि पर्वत पर भगवान श्री राम मां सीता के साथ झूला झूलते हैं. इसी के साथ अयोध्या में श्रावण पूर्णिमा तक सभी मंदिरों के अंदर झूलन उत्सव की शुरुआत हो जाती है और मंदिर में रखें चल विग्रह झूले पर विराजमान हो जाते हैं. मान्यता है कि श्रावण मास में हरियाली तीज से शुरू हुए झूलन उत्सव में भगवान को झूला झुलाने से जीवन मरण के झूले से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं.

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मणि पर्वत में भगवान को  श्रद्धालु  झूला झूलते हैं. मंदिरों में  श्रद्धालु झूला झुलाते हैं, पूजा अर्चना दर्शन करते हैं और अपने जीवन को सफल बनाने की कामना करते हैं. हालांकि विगत 2 वर्षों से अयोध्या में झूलनोत्सव पर्व में कोविड-19 का असर पड़ा है. जिला प्रशासन को भीड़ न जमा होना पड़े के लिए झूलनोत्सव पर्व में श्रद्धालुओं के शामिल होने पर रोक लगाना पड़ा है.

बिना RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट के अयोध्या आने पर रोक
अब कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए जिला प्रशासन ने पर्व पर कड़ाई करते हुए बिना RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट के अयोध्या आने पर रोक लगा दी है. जिस वजह से बहुत कम संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं.

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