कलावा और शिखा काट दो, सिंदूर-बिंदी मिटा दें....पहलगाम आतंकी हमले का बयां की दहशत की दास्‍तां
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कलावा और शिखा काट दो, सिंदूर-बिंदी मिटा दें....पहलगाम आतंकी हमले का बयां की दहशत की दास्‍तां

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम से जौनपुर लौटे परिवार ने आतंकियों के दहशत की पूरी कहानी सुनाई. उन्‍होंने बताया कि हमले के समय वह वहीं पर बैसरन घाटी में ही थे.  

Pahalgam Terror Attack
Pahalgam Terror Attack

Pahalgam Terror Attack: जम्‍मू कश्‍मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में आतंकी हमले के समय घाटी से 700 मीटर दूर मौजूद जौनपुर के अधिवक्ता सूर्यमणि पांडेय और उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी ने लौटने के बाद दहशत की दास्तां बयां की. 

जौनपुर के परिवार ने बताई दहशत की दास्‍तां
जौनपुर के भूपतपट्टी मुस्तफाबाद के रहने वाले सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि 18 से 24 अप्रैल तक जम्‍मू कश्‍मीर रहने का प्‍लान था. यहां से श्रीनगर पहुंचने के बाद 18 से 21 अप्रैल तक श्रीनगर रहे. दूसरे दिन सुबह 22 अप्रैल को वह पहलगाम के लिए निकले. वहां पहुंच कर बैसरन घाटी जिसे मिनी स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है वहां जाने के लिए दो खच्‍चर बुक किए. सड़क से 5 किलोमीटर दूर तक का खच्‍चर से वह बैसरन घाटी पहुंचे. वहां नाश्ता पानी के लिए उतरते समय पत्नी विजयलक्ष्मी के हाथ में चोट लग गई और सूजन आ गई. 

भागते हुए लोग आए 
पत्नी ने कहा कि अब आगे नहीं जा पाएंगे. यहीं से वापस लौटिए, तब वहीं पास की कैंटीन में नाश्ता करने लगे. तभी घाटी में सात-आठ सौ मीटर दूर तीन-चार फायर की आवाज आई. खच्‍चर वालों ने कहा कि गुब्बारा फूटा होगा. धुआं दिख रहा था, तभी कुछ लोग दौड़ते हुए बचाओ बचाओ कहते हुए हम लोगों की तरफ आने लगे. उन लोगों ने कहा कि टेररिस्ट अटैक हुआ है. हम लोग यह सुनकर कांप उठे और पैदल ही भागने लगे. खच्‍चर वाले हमारे पीछे दौड़ रहे थे. 

मोबाइल रखने को कहा 
मोबाइल निकाला तो खच्‍चर वाले ने मना कर दिया. कहा, कोई रिकॉर्डिंग या फोटोग्राफी न करो, जान बचाओ. हाथ का कलवा और शिखा काटने को बोला और पत्नी से सिंदूर, बिंदी निकालने को कहा. पत्नी ने बिंदी निकाल दिया. सिंदूर टोपी के नीचे छिपा ली. पत्नी रोने लगी. रास्ते में दौड़ते हुए जो लोग आ रहे थे वह कह रहे थे कि हिंदू पूछ कर गोली मार रहे हैं. इतनी देर में तीन-चार बार फायरिंग की आवाज और सुनाई पड़ी. करीब 25 मिनट में हम लोग नीचे पहुंचे तक तक सीआरपीएफ के जवान आ गए थे. 

सीआरपीएफ के जवान पहुंच गए थे 
सीआरपीएफ के जवान हमें गाड़ी में बैठा कर कवर करते हुए होटल तक ले गए. करीब 3:30 बजे हम लोग होटल में पहुंच चुके थे. होटल वाले व ड्राइवर कैंडल जुलूस निकाले. नारा लगा रहे थे कि मेहमान हमारी जान हैं. कश्मीर की पहचान हैं.  कत्लेआम बंद करो. कहें कि हम लोग अपनी जान दे देंगे, आप लोगों को कुछ नहीं होने देंगे. कहा कि आतंकियों ने 28 लोगों को नहीं मारा बल्कि हम जैसे होटल वालों, ड्राइवर, कपड़े बेचने वाले, कैंटीन वाले आदि लाखों परिवारों को मारा है. 

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