50 लाख के बकाए के चलते पेट्रोल पंप मालिकों ने दमकल विभाग की उधारी बंद कर दी है, जिसकी वजह से सारी दमकल की गाड़ियां सिर्फ अग्निशमन दफ्तरों में खड़े होकर रह गई हैं.
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नई दिल्ली/नोएडा, (पवन त्रिपाठी): उत्तर प्रदेश में दमकल विभाग एक ऐसा जरूरी विभाग है, जिसके न होने से त्राहि-त्राहि मच सकती है. अधिकारियों की लापरवाही की वजह से विभाग की भी अनदेखी हो रही है. उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले हाईटेक शहर नोएडा में दमकल विभाग की गाड़ियों में डीजल के लिए बजट नहीं है, जिसकी वजह से सारी दमकल की गाड़िया अग्निशमन के दफ्तरों में ही खड़ी हुई है. 50 लाख के बकाए के चलते पेट्रोल पंप मालिकों ने दमकल विभाग की उधारी बंद कर दी है, जिसकी वजह से सारी दमकल की गाड़ियां सिर्फ अग्निशमन दफ्तरों में खड़े होकर रह गई हैं.
जानकारी के मुताबिक, 16 दिन से दमकल विभाग फिलहाल सरकार से फंड आने की आस लगाए बैठा हैं. नोएडा में कुल 5 फायर स्टेशन हैं जबकि गौतमबुद्धनगर में 9 स्थाई और 2 अस्थाई फायर स्टेशन हैं. जिनमें 6 पेट्रोल पंपो से डीजल खरीदा जाता हैं. लेकिन विभाग पर 50 लाख रुपये बकाया होने के चलते कुछ पेट्रोल पंपो ने तेल की आपूर्ति विभाग को देना बंद कर दिया हैं.
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नोएडा शहर एक शहर जहां हर एक विभाग के पास करोड़ो रुपयों का फंड होता हैं. लेकिन अगर कोई बड़ा हादसा हो जाए, तो विभाग की ये एक लापरवाही कई लोगों के लिए भारी पड़ सकती है. नोएडा के सेक्टर-2 स्थित फायर स्टेशन पर पिछले 16 दिनों से फायर की गाड़ियां सिर्फ शोपीस के लिए खड़ी हैं. क्योंकि उनका लगभग 11 लाख रुपये सेक्टर-14 के पेट्रोल पंप पर बकाया हैं, जिसके चलते पेट्रोल पंप ने उनकी तेल की अपूर्ति को रोक दिया हैं. हालांकि पेट्रोल पंप के लोगों का कहना है कि अगर कोई बड़ी इमरजेंसी आती हैं, तो वो विभाग को तेल उपलब्ध कराएंगे, लेकिन अभी 11 लाख का बकाया होने के चलते तेल नहीं दिया जा रहा है.
इस जानकारी के बाद जब ज़ी न्यूज ने नोएडा के चीफ फायर अधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि दमकल विभाग पर पेट्रोल पंपों का लगभग 50 लाख रुपये बकाया है. उन्होंने बताया कि विभाग को डीजल के लिए सिर्फ 9 लाख रुपये आ रहे हैं. बाकी की राशि के लिए सरकार और प्रशासन को पत्र भेजा गया हैं. जल्द ही फंड आने की उम्मीद हैं.
गौतमबुद्धनगर जिले में 9 स्थाई और अस्थाई फायर स्टेशन हैं. उनकी गाड़ियों के लिए आस-पास के पेट्रोल पंपों से डीजल खरीदा जाता है. हर महीने इनकम तैयार कर SSP कार्यालय वहां से शासन को प्रपोजल भेजकर फंड की मांग की जाती है. बावजूद इसके समय पर फंड जारी नहीं होता.