इन किसानों से सहकारी बैंक को 50 लाख रुपये की रकम वसूलनी है और अगर ये समय से कर्ज नहीं दे पाते तो इनकी जमीनें 10 जून से 22 जून 2019 के अंदर ही नीलाम हो जाएंगी.
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बांदा: लोकसभा के चुनाव खत्म होते ही बैंकों ने किसानों के ऊपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. बुंदेलखंड का किसान अनावृष्टि ओलावृष्टि और सूखे से हमेशा बदहाल और बर्बाद रहा है और जहां एक ओर प्रकृति किसानों की कमर तोड़ रही है और वहीं सरकारी हुक्मरान भी इन किसानों को बदहाल बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
बुंदेलखंड के बांदा में 57 किसानों को जमीन की नीलामी का नोटिस सहकारी ग्रामीण बैंक ने थमा दिया है. इन किसानों से सहकारी बैंक को 50 लाख रुपये की रकम वसूलनी है और अगर ये समय से कर्ज नहीं दे पाते तो इनकी जमीनें 10 जून से 22 जून 2019 के अंदर ही नीलाम हो जाएंगी.
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मवई गांव के किसानों ने बताया कि घर में बीमारी और तंगहाली के चलते हम बैंकों का कर्ज नहीं दे पाए और बैंकों की की कारगुजारी भी देखिए इन्होंने बैंक से ₹20000 रुपये कर्ज लिए और उसमें भी इन किसानों के हाथ 13000 ही रुपए हाथ लगे और जब उन्होंने अन्य पैसे की मांग की तो कहा कि यह बैंकों का खर्च है देना ही पड़ता है. किसान इस कर्ज को भरने के लिए परेशान है और उन्होंने यह भी बताया की किसानी सूखी पड़ी है. पानी बरसा नहीं. खेत में कुछ पैदा ही नहीं हुआ तो कर्ज हम कैसे भरें अगर सरकार हमारी नहीं सुनती तो हम लोग परिवार सहित आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
वहीं जब बैंक के मैनेजर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह किसान बहुत ही पुराने बकायेदार थे और यह अपना पैसा नहीं जमा कर रहे थे इसलिए हमें अब विज्ञापन निकालना पड़ा और हम उन किसानों से कहते हैं कि जिनके पास जितना भी पैसा हो वह जमा कर जाएं.