हाथरस कांड में CBI ने दर्ज की FIR, जांच एजेंसी को इन 6 सवालों के जवाब की होगी तलाश
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हाथरस कांड में CBI ने दर्ज की FIR, जांच एजेंसी को इन 6 सवालों के जवाब की होगी तलाश

आपके मन में प्रश्न उठ रहे होंगे कि आखिर सीबीआई हाथरस कांड की जांच करते वक्त किन संभावित सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेगी. आइए हम आपको समझाने की कोशिश करते हैं...

सांकेतिक तस्वीर.

शोएब रजा/हाथरस: हाथरस कांड में 16 अक्टूबर को एसआईटी अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली है. लेकिन अब मामला सीबीआई के पास चला गया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि विस्तार से इस मामले की जांच होगी और जिन सवालों के जवाब अभी तक पता नहीं चल पाए हैं उनके जवाब भी सबके सामने आएंगे. इस बीच आपके मन में प्रश्न उठ रहे होंगे कि आखिर सीबीआई हाथरस कांड की जांच करते वक्त किन संभावित सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेगी. आइए हम आपको समझाने की कोशिश करते हैं...

1. सबसे पहले सीबीआई इस बात पर फोकस कर सकती है कि 14 सितंबर को क्या हुआ था?
बीते 14 सितंबर को बुलगढ़ी गांव में बाजरा के खेत में पीड़िता के साथ क्या हुआ था? इस प्रश्न के जवाब में पीड़िता और आरोपी परिवारों की ओर से अलग-अलग बातें कही जा रही हैं. इस घटना के बाद मीडिया में मृत लड़की का एक वीडियो वायरल है. यह वीडियो तब रिकॉर्ड किया गया था जब पीड़िता के परिजन उसे घटना के बाद थाने लेकर पहुंचे थे. इस वीडियो में पीड़िता कह रही है कि उसने मेरा गला दबा दिया. गला क्यों दबाया जब ये सवाल होता है तो वो जवाब देती है, ''जबरदस्ती ना करने दी मैंने.''

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वीडियों में पीड़िता संदीप नाम के लड़के का जिक्र कर रही है. मुख्य आरोपी का नाम भी संदीप है और लड़की के भाई का भी. पीड़िता के इस बयान का उसके परिवार वाले और आरोपी के परिवार वाले अपने-अपने तरीके से मतलब निकालकर बयान दे रहे हैं. हालांकि जी मीडिया से बात करते हुए पीड़िता के भाई संदीप ने कहा था कि वह 14 सितंबर को गांव में नहीं बल्कि दिल्ली एनसीआर में था और सीधा सफदरजंग हॉस्पिटल पहुंचा था. अब सीबीआई अपनी जांच की शुरूआत इस प्रश्न का जवाब ढूंढने के साथ ही कर सकती है कि आखिर 14 सितंबर को बाजरे के खेत में पीड़िता के साथ क्या हुआ था?

2. दूसरा सवाल 14 से 29 सितंबर की के बीच पीड़िता की बिगड़ती हालत के लिए जिम्मेदार कौन?
पीड़िता का पहला वीडियो 14 सितम्बर को सामने आया, जिसमें वह अपने साथ हुई जबरदस्ती और गले में चोट की बात कह रही है. हालांकि उस वीडियो को देखकर ऐसा नहीं लगता कि आने वाले दिनों में पीड़िता की हालत इतनी बिगड़ जाएगी. ऐसे में सवाल उठता है कि 14 से 29 सितम्बर तक उसके साथ क्या होता रहा? क्या 14 सितम्बर के बाद पीड़िता के इलाज में लापरवाही बरती गई? समय रहते अगर इलाज मिला होता तो क्या उसकी जान बच सकती थी? अगर उसके इलाज में दे हुई तो किसके कहने पर? आरोपी पक्ष खुलेतौर पर और पीड़िता के परिजन दबी जुबान में इस मामले में स्थानीय सांसद और उनकी बेटी का जिक्र करते रहे हैं. ऐसे में सीबीआई इन तथ्यों की भी जांच करेगी.

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3. मुख्य आरोपी संदीप के अलावा बाकी तीन आरोपियों की हाथरस कांड में कितनी भू्मिका रही है?
संदीप के अलावा इस मामले में आरोपी के तौर पर रवि, लवकुश और रामकुमार का नाम भी शामिल है. ये चारों एक ही परिवार के हैं और आपस में चाचा-भतीजा लगते हैं. पीड़िता अपने आखिरी बयान में दो लोगों का नाम लेती है और बाकियों के बारे में कहती है कि वे भाग गए. जबकि आरोपी पक्ष का कहना है कि चारों को गलत आरोपों में फंसाया जा रहा है. खासतौर पर आरोपी रामकुमार उर्फ रामू को लेकर कहा जा रहा है कि वह उस दिन डेयरी फर्म में ड्यूटी करने गया था. डेयरी मालिक ने भी इस बात की पुष्टि की है. ऐसे में सीबीआई इस पहलू के जवाब भी तलाशेगी.

4. क्या मुख्य आरोपी संदीप और मृतका के बीच पहले से कोई रिश्ता था? क्या दोनों प्रेम प्रसंग में थे?
हाथरस के बुलगढ़ी गांव के किसी भी शख्स से बात होती तो वह इस बात का जिक्र जरूर करता है कि पीड़िता और मुख्य आरोपी की पहले से बात होती थी. गांव के प्रधान भी इस बात को कहते हैं कि उन्होने पिछले दिनों ही दोनों के मामले को लेकर एक समझौता भी कराया था. वहीं कॉल डिटेल्स में भी ये बात सामने आई है कि पीड़िता के भाई और मुख्य आरोपी के बीच बीते अक्टूबर से इस वर्ष मार्च तक 104 फोल कॉल्स हुई हैं. इसमें 62 बार पीड़िता के भाई ने मुख्य आरोपी को कॉल्स किया, जबकि 42 कॉल्स आरोपी की ओर से पीड़िता के भाई को किए गए. 

5. पहली एफआईआर में बलात्कार की धारा क्यों नहीं थी? पुलिस ने तुरंत रेप टेस्ट क्यों नहीं कराया?
पीड़िता के बड़े भाई की तरफ से थाने में दी गई पहली तहरीर में बलात्कार का जिक्र नहीं है. पीड़िता का परिवार इस बारे में कहता है, ''बेटी उस समय सुध में नहीं थी, जब उसे सुध आई तो उसने पूरी बात बताई.'' एसआईटी की शुरूआती जांच के बाद ही हाथरस पुलिस के अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है. लेकिन सीबीआई इस सवाल का जवाब जरूर तलाशेगी कि पुलिस ने मामले को सही से डील क्यों नहीं किया? बलात्कार हुआ या नहीं इस बात को जानने के लिए पीड़िता के नमूने पहली बार 22 सितंबर को तब लिए गए जब उसने पुलिस पूछताछ में अपने साथ हुई घटना को विस्तार से बताया और चार अभियुक्तों पर आरोप लगाए. आगरा की फॉरेंसिक लैब को पीड़िता के नमूने 25 सितंबर को प्राप्त हुए.

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6. पीड़िता के शव को रात में क्यों जलाया गया? क्षेत्र में जातीय तनाव बढ़ाने के लिए कौन जिम्मेदार?
पुलिस और प्रशासन का तर्क है कि अगर शव का अंतिम संस्कार रात को ना किया जाता तो हालात बिगड़ सकते थे, क्योंकि प्रदर्शन की शुरूआत दिल्ली के सफदरजंग से ही शुरू हो चुकी थी. लेकिन क्या वाकई ऐसा था या प्रशासन ने मामला निपटाने के चक्कर में एक के बाद एक गलतियां कीं? सीबीआई इस सवाल का जवाब भी तलाशेगी. हाथरस की घटना के बाद से ही इलाके में जातीय तनाव बना हुआ है, इसके पीछे कौन है? अलग-अलग सगंठनों की तरफ से क्या हाथरस में जातीन तनाव भड़काने की कोशिश की गई? क्या फंडिग करके यूपी में दंगे भड़काने की साजिश रची गई? यकीनन इन तमाम सवालों के जवाब भी सब चाहते हैं, ऐसे में सीबीआई क्या इस गुत्थी को सुलझाने में कामयाबी होगी ये देखना बड़ा अहम रहने वाला है.

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